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नक्सलियों के गढ़ जमटी में पहली बार बना बूथ, बिना डरे लोगों ने किया मतदान

नक्सलियों के डर से इससे पूर्व कभी गांव में नहीं बना था मतदान केंद्र

नक्सलियों के डर से इससे पूर्व कभी गांव में नहीं बना था मतदान केंद्र

जमटी बूथ पर तीन गांव कुमाड़ी, टेमरकरचा व जमटी के वोटरों ने डाला वोट

दुर्जय पासवान, गुमला

सोमवार को दिन के एक बजे रहे थे. जमटी स्कूल में बनाये गये बूथ में लोगों की भीड़ थी. बूथ के ठीक सामने चबूतरा है, जहां पेड़ की छाया में ग्रामीण बैठे थे और एक-एक कर वोट डाल रहे थे. यह पहला अवसर है, जब जमटी, टेमरकरचा व कुमाड़ी गांव के लोग अपने ही गांव में वोट डाले. इससे पहले नक्सलियों के डर से कभी गांव में मतदान केंद्र नहीं बनता था. इन तीनों गांव के एक हजार वोटर वोट डालने 10 किमी पैदल चलकर बनालात क्लस्टर में वोट डालते थे. परंतु क्षेत्र में नक्सली गतिविधि कम हुई, तो प्रशासन ने पहली बार लोकसभा चुनाव में जमटी गांव के स्कूल में बूथ बनाया. जमटी बूथ पर तीन गांव कुमाड़ी, टेमरकरचा व जमटी के लोगों ने बिना डर के वोट डाले. ग्रामीण जैसा बताते हैं कि पहले वोट डालने के लिए नक्सलियों से अनुमति लेनी पड़ती थी. परंतु अब फिजा बदली है. गांव में पुलिस कैंप स्थापित होने के बाद नक्सली गतिविधि कम हुई है. प्रभात खबर ने कई वोटरों से बात की. लोगों ने कहा कि अब किसी प्रकार का नक्सली डर नहीं है. खुशी इस बात की है कि पहली बार हमारे गांव में बूथ बना और हर घर से वोटर निकल कर बूथ तक आये और वोट डाले हैं. प्रकाश खेरवार ने कहा है कि इस बार गांव के विकास व लोकतंत्र को बचाने के लिए वोट दिया है. उन्होंने कहा है कि हमारे टेमरकरचा गांव में किसी के घर में शौचालय नहीं है. पक्का घर नहीं है. जलमीनार बनी, तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. बिजली नहीं है. इसलिए इस बार इन समस्याओं को दूर करने वाले नेता को हमलोगों ने वोट डाला है. जसवीर खेरवार ने कहा है कि हमारे गांव में मोबाइल नेटवर्क की बड़ी समस्या है. वोट दिया हूं. इस बार जिसे वोट दिया हूं, वही चुनाव जीतेगा. इससे इस गांव की समस्याएं दूर होगी. जामा महली ने कहा है कि गांव की समस्याओं को लेकर पूर्व में कई बार प्रशासन के जनता दरबार में आवेदन दिया, परंतु समस्याएं दूर नहीं हुई हैं. यहां तक कि सांसद व विधायक कभी हमारे गांव में झांकने तक नहीं आये. इसलिए इस बार सबक सिखाने के लिए नये चेहरे को वोट दिये हैं. बता दें कि जमटी बूथ पर मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे. क्योंकि इस क्षेत्र में भाकपा माओवादी का शीर्ष नेता रवींद्र गंझू का कभी-कभार आगमन हो जाता है. इसलिए पुलिस पूरे इलाके में डटी हुई थी. सबसे अच्छी बात रही कि जमटी, कुमाड़ी व टेमरकरचा गांव की महिलाएं भी काफी संख्या में वोट डालने पहुंची थी. दिन के एक बजे तक यहां 40 प्रतिशत मतदान हो गया था.

10 से 13 किमी पैदल चल वोटर पहुंचे बूथ:

इधर, कसमार इलाके के बनालात क्लस्टर में दिन के 12 बजे वोटरों की लंबी कतार थी. यहां बोरहा व हरैया गांव के लोग 10 से 13 किमी की दूरी तय कर वोट डालने पहुंचे थे. बोरहा व हरैया गांव के लोगों ने कहा कि इस बार तो हमलोग बनालात में आकर वोट डाल दिये. परंतु, आने वाले विधानसभा चुनाव में हमारे गांव में ही बूथ बने, ताकि हमलोग अपने ही गांव में वोट डाल सके. बोरहा गांव के आगेश एक्का, जीत बहान लोहरा, चंदन उरांव, नागेश्वर खेरवार ने कहा है कि हमारे क्षेत्र में सरकार की जितनी योजना है. वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. किसी के घर में शौचालय नहीं बना और पैसा की निकासी हो गयी. 300 घर हैं, परंतु सभी घर मिट्टी के हैं. हरैया गांव के बुद्धेश्वर उरांव, राम उरांव, जसीम उरांव व अनिल उरांव ने कहा है कि हमारे गांव में जलमीनार खराब है. ट्रांसफॉर्मर बेकार है. सड़क व शौचालय नहीं है. इसलिए इस बार बदलाव के लिए वोट डाले हैं. लोगों ने कहा कि इस बार वोट डाल कर अच्छा लगा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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