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Budget Expectations 2023: झारखंड बजट से गुमला के अन्नदाता किसानों को क्या हैं उम्मीदें ?

किसान बीरेंद्र उरांव ने कहा कि लैंपस में जो धान खरीदा जाता है, उसका रेट बहुत ही कम है. दूसरे राज्यों में सरकार के द्वारा अधिक मूल्य पर धान खरीदा जाता है और हमारे राज्य में बहुत ही कम दर पर धान की खरीदी होती है. इससे हमें लागत भी नहीं मिल पाती है और पैसे का भुगतान भी काफी मशक्कत के बाद किया जाता है.

गुमला, अजीत/महीपाल/सुनील. झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 27 फरवरी से शुरू होने वाला है. तीन मार्च को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश होना है. इस पर सभी की नजरें हैं. खासकर किसान वर्ग के लोगों को बजट से काफी उम्मीदें हैं कि बजट में उनके लिए योजना बने. प्रभात खबर ने घाघरा, पालकोट व भरनो प्रखंड के दो-दो किसानों से बात की है. उनकी नजर में बजट कैसा होना चाहिए. घाघरा के किसान संतोष महतो ने कहा कि सरकार बजट में किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में सोचते हुए बजट प्रस्तुत करे. हम सभी किसान पैसा के साथ-साथ अपना पूरा परिवार खेतों में काम कर कड़ी मेहनत से फसल उगाते हैं. जिसके बाद उन्हें औने पौने रेट पर बेचना पड़ता है. जिससे हमें काफी नुकसान होता है. पूंजी तो बर्बाद होता ही है. इसके साथ-साथ पूरा साल भी बर्बाद होता है. सरकार कुछ व्यवस्था करें, जिससे कि हमारी फसल उचित मूल्य पर एक जगह पर बेची जा सके.

किसान हित में हो बजट

घाघरा के किसान बीरेंद्र उरांव ने कहा कि लैंपस में जो धान खरीदा जाता है, उसका रेट बहुत ही कम है. दूसरे राज्यों में सरकार के द्वारा अधिक मूल्य पर धान खरीदा जाता है और हमारे राज्य में बहुत ही कम दर पर धान की खरीदी होती है. इससे हमें लागत भी नहीं मिल पाती है और पैसे का भुगतान भी काफी मशक्कत के बाद किया जाता है. पालकोट प्रखंड के नाथपुर डहूडांड़ खूंटीटोली गांव के किसान राम उरांव का कहना है कि सरकार जब भी बजट बनाये, हम किसानों पर जरूर ध्यान दे. हम किसान देश के अन्न दाता हैं. लाभकारी व सहूलियत वाला बजट बने. खूंटी टोली गांव के किसान परसा उरांव का कहना है कि भारत देश कृषि प्रधान देश है. 60 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं. इसलिए सरकार किसानों के हित में बजट पेश करे.

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अन्नदाता किसानों का बजट हो

भरनो प्रखंड के किसान इदरीश खान ने कहा कि सरकार बजट में किसानों को सुविधा प्रदान करते हुए बजट पेश करे. किसानों की मेहनत का उचित मूल्य मिले. हम सभी किसान पूंजी लगाकर कड़ी मेहनत से फसल उगाते हैं. जिसके बाद उन्हें औने पौने दाम पर हमें फसलों को बेचना पड़ता है. जिससे हमें काफी नुकसान होता है. किसान गुजवा महली ने कहा कि सरकार बजट में किसानों के हित के बारे में निर्णय ले. किसान देश के अन्नदाता हैं. हमारा देश कृषि प्रधान देश है. सरकार धान अधिप्राप्ति और समय पर राशि का भुगतान पर भी फोकस करे.

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