गुमला : पुलिस मुठभेड़ में मारा गया बुद्धेश्वर उरांव का घर गुमला प्रखंड के पाकरटोली आंजन गांव है. गांव से मिली जानकारी के मुताबिक वह मैट्रिक पास था. बेहतरीन डांसर भी था. कई फिल्मी गीतों में वह अच्छा डांस करता था. बताया जा रहा है कि बुद्धेश्वर पढ़ने लिखने में तेज था. वह टोटो हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा लिख कर पास हुआ था. पाकरटोली गांव के एक व्यक्ति ने बताया कि बुद्धेश्वर की एक बहन थी. जिसके साथ कुछ युवक छेड़छाड़ करते थे.
छेड़छाड़ करने वाले युवकों से कई बार बुद्धेश्वर की लड़ाई हुई. परंतु वे लोग दबंग थे. बुद्धेश्वर ग्रामीण किसान था. इसलिए बुद्धेश्वर को अक्सर दबंग लोग पकड़वा कर पिटवाते थे. इसी गुस्सा में बुद्धेश्वर 19 वर्ष की उम्र में जनमुक्ति मोर्चा अपराधी संगठन में शामिल हो गया. 1998 के आसपास जनमुक्ति मोर्चा का नेतृत्वकर्ता स्व विमल उरांव था. विमल के कहने पर बुद्धेश्वर उसके संगठन में शामिल हो गया और अपनी बहन से छेड़छाड़ करने वाले युवकों से बदला लेने लगा.
इसी दौरान क्षेत्र में एमसीसी के नक्सली आये. जनमुक्ति मोर्चा संगठन व एमसीसीआई के बीच अक्सर मुठभेड़ होती थी. जब जनमुक्ति मोर्चा कमजोर होने लगा तो बुद्धेश्वर एमसीसी में शामिल हो गया. बाद में एमसीसी व माओवादी संगठन का विलय हो गया. जो अब एमसीसीआइ (भाकपा माओवादी) के नाम से जाना जाता है.
बुद्धेश्वर उरांव ने संगठन को मजबूत करने के लिए गुमला जिले के विभिन्न गांवों से कई युवकों को संगठन में जोड़ा. यहां तक कि अपने साला रंथु उरांव को भी संगठन में शामिल कर लिया. जिससे बुद्धेश्वर का ओहदा बढ़ गया. इधर, सिलवेस्टर के मारे जाने और प्रसाद लकड़ा व सुशील गंझू को पुलिस द्वारा पकड़ कर जेल भेजे जाने के बाद क्षेत्र में कोई बड़ा नेता नहीं बचा. यहां तक कि नकुल यादव व मदन यादव ने भी सरेंडर कर दिया. इसलिए संगठन ने बुद्धेश्वर को रीजनल कमेटी का सदस्य बना दिया था.
बुद्धेश्वर को सरेंडर करने के लिए पुलिस ने दबाव बनाया. यहां तक कि कुर्की जब्ती का वारंट निकाला गया. घर को तोड़ा गया. घर का सारा सामान जब्त किया गया. इसके बाद भी बुद्धेश्वर मुख्यधारा से नहीं जुड़ा. इधर, बुद्धेश्वर के मारे जाने के बाद गुरुवार की शाम को काफी संख्या में पुलिस फोर्स पाकरटोली गांव गयी थी.
Posted by : Sameer Oraon