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गुमला के रिमांड हाेम में बालबंदियों ने आकर्षक रंगोली बनाकर जीता सबका दिल,Crime से दूर रहने का लिया संकल्प

गुमला के रिमांड होम के बालबंदियों ने आकर्षक रंगोली बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. इस दौरान विजेता को पुरस्कार भी दिया गया. वहीं, बालबंदियों ने दूर रहने का संकल्प भी लिया. बता दें कि सिलम तिर्रा घाटी स्थित रिमांड होम में तीन जिलों के बालबंदियों को रखा जाता है.

Jharkhand News: गुमला के इतिहास में यह पहला अवसर है. जब अपराध कर रिमांड होम में रहने वाले बालबंदियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. अवसर था, रंगोली प्रतियोगिता का. गुमला शहर से चार किमी दूर सिलम तिर्रा घाटी स्थित रिमांड होम में रंगोली प्रतियोगिता हुआ. जिसमें विभिन्न अपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर रिमांड होम में रह रहे बालबंदियों ने भाग लिया. बालबंदियों ने अपनी प्रतिभा और कला का प्रदर्शन करते हुए आकर्षक रंगोली बनाया. इसके साथ ही इस दीपावली पर्व पर बाल बंदियों ने दोबारा अपराध नहीं करने व एक अलग पहचान बनाने का संकल्प लिया. बालबंदियों ने रिमांड होम के अंदर अबीर व अन्य सामग्रियों से रंगोली बनाया.

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गुमला के रिमांड हाेम में बालबंदियों ने आकर्षक रंगोली बनाकर जीता सबका दिल,crime से दूर रहने का लिया संकल्प 3

मुख्यधारा से जोड़ने की पहल

अधीक्षक अविनाश कुमार गिरी की पहल पर संप्रेक्षण गृह (रिमांड होम) गुमला में दीपावली एवं धनतेरस पर्व के अवसर पर रिमांड होम में रहने वाले किशोरों के बीच रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. श्री गिरी ने कहा कि किशोरों द्वारा समूह में अलग अलग और आकर्षक रंगोली बनायी गयी. जीतने वालों को पुरस्कार भी दिया गया. रिमांड होम में नित्य अलग-अलग क्रियाकलाप का आयोजन कराकर इन्हें फिर से मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जा रही है. सभी किशोर में अच्छी अच्छी प्रतिभा छुपी है. इसे निकालने का प्रयास किया जा रहा है. ताकि वे अपनी गलती से सीख लेते हुए आगे की ज़िंदगी अच्छी से गुजारेंगे. मौके पर अधीक्षक अविनाश कुमार गिरी, परामर्शी तहसीन तरन्नुम सहित सभी उपस्थित थे.

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तीन जिलों के बालबंदी रहते हैं

गुमला के रिमांड होम में अभी तीन जिले गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा के विधि विवादित किशोर रहते हैं. तीन जिला के बालबंदियों को एक ही जगह रखने से इनमें अच्छा तालमेल हो गया है. साथ ही पॉजिटिव सोच के साथ ये सभी बालबंदी एक-दूसरे को शिक्षा प्रदान कर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं. यहां बता दें कि रिमांड होम में रहने वाले बालबंदियों को शिक्षा से लेकर खेल, कला एवं अन्य क्षेत्र में भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि ये बालबंदी जब रिमांड होम से बाहर निकले, तो इनकी एक अलग पहचान बन सके. हाल में ही मैट्रिक, इंटर व अन्य परीक्षा में यहां के कई छात्र भाग लिये थे. जिसमें सभी छात्र सफल हुए हैं. कई बंदी खेल में आगे हैं. इसलिए रिमांड होम के अंदर खेल का भी आयोजन किया जाता है. पेंटिंग सहित अन्य गतिविधियों में भाग लेने का अवसर बंदियों को दिया जा रहा है.

रिपोर्ट :  दुर्जय पासवान, गुमला.

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