Christmas 2021:लौवाकेरा चर्च में कभी पेड़ के नीचे होती थी आराधना, बरसात में नदी पार कर पहुंचना होता था मुश्किल

Christmas 2021: बीस साल पहले लौवाकेरा का इलाका कोनबीर पारिस में आता था. गांव के सामने तोरपा नदी है. इस कारण बरसात में वे गिरजा नहीं जा पाते थे. विशेष कार्यक्रम होने पर इन्हें वंचित रहना पड़ जाता था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2021 5:56 PM

Christmas 2021: झारखंड के गुमला जिले के पालकोट प्रखंड के लौवाकेरा गांव में 21 वर्ष पूर्व रोमन कैथोलिक पारिस की स्थापना की गयी थी. पारिस के संस्थापक फादर पात्रिक मिंज हैं. शुरू में फादर पात्रिक ख्रीस्त विश्वासियों के लिए आम पेड़ के नीचे एस्बेस्टस का घर बनाकर लोगों के साथ ईश्वरीय आराधना करते थे. इसके साथ ही पेड़ के नीचे अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते थे. वर्ष 2012 में नया गिरजाघर बना. नया पुरोहित आवास बनाया गया. इससे पूर्व पल्ली के पुरोहित किसी तरह खपड़ा के मकान में रहकर लोगों की सेवा किया करते थे. धीरे-धीरे लौवाकेरा चर्च में सुविधाएं बढ़ायी गयीं.

लौवाकेरा पारिस में एक आरसी प्राथमिक विद्यालय चल रहा था. जिसकी स्थापना 1936 में हुआ था. यह स्कूल लौवाकेरा गांव के पास बसिया जाने वाले पथ पर था. जिसे पारिस बनने के बाद 2007 में नये पारिस परिसर में लाया गया. फादर पात्रिक मिंज द्वारा आसपास के गांवों के अभिभावकों से मिलकर 2008 में मैट्रिक की पढ़ाई शुरू करायी गयी. फादर पात्रिक का 11 साल लौवाकेरा पारिस में सेवा देने के बाद रजावल पारिस में स्थानांतरण हो गया. वर्तमान में लौवाकेरा पारिस में फादर निरंजन एक्का कैथोलिक विश्वासियों को अपनी सेवा दे रहे हैं. वे मुख्य संरक्षक हैं और स्कूल के एचएम हैं. 12 वर्षों से इनके कुशल नेतृत्व में स्कूल प्रगति कर रहा है. वर्तमान में स्कूल में 1200 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.

Also Read: Jharkhand News: शहीद दिवस के भव्य आयोजन की तैयारी जोरों पर, 16 करोड़ से विकसित होगा खरसावां शहीद पार्क

फादर निरंजन ने बताया कि लौवाकेरा से पालकोट व बसिया 10-10 किलोमीटर दूर है. यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए पालकोट व बसिया आना पड़ता था. बीस साल पहले लौवाकेरा का इलाका कोनबीर पारिस में आता था. गांव के सामने तोरपा नदी है. बरसात में गिरजा नहीं जा पाते थे. पारिस में कोई विशेष कार्यक्रम होता था तो इन्हें वंचित रहना पड़ जाता था, लेकिन जब से लौवाकेरा पारिस बना. सुविधाएं बढ़ीं. इसके बाद अगल-बगल के 10 गांवों को लौवाकेरा पारिस में सम्मिलित किया गया.

Also Read: Jharkhand Weather Forecast: सुबह में कोहरा या धुंध से कब मिलने वाली है राहत, कब से बढ़ने वाली है और ठंड

चैनपुर प्रखंड के बारवे नगर में संत जॉन कैथोलिक चर्च है. इसकी स्थापना एक जनवरी 1962 में हुई थी. सर्वप्रथम चैनपुर के लोग कटकाही चर्च पूजा पाठ के लिए जाते थे, परंतु कुछ ईसाई धर्म के अनुयायियों ने एक छोटे से चर्च का निर्माण किया. उसके बाद कटकाही, नावाडीह एवं टोंगो के ग्रामीणों ने मिलकर चंदा कर इस भव्य चर्च का निर्माण किया था. इस चर्च के अंदर तीन प्राथमिक विद्यालय, दो मध्य विद्यालय व एक महाविद्यालय के साथ-साथ हेल्थ सेंटर भी है. इसके बाद 1996 में चैनपुर शाखा के पल्ली के रूप में मालम नवाटोली में संत एंथोनी चर्च नवाटोली की स्थापना हुई. सर्वप्रथम फादर जोसेफ तिग्गा ने पुरोहित के रूप में कार्य प्रारंभ किया. स्थापना वर्ष से लेकर कुल 17 पल्ली पुरोहित हुए और 21 सहायक पुरोहित हुए. वर्तमान में चैनपुर के फादर रजत एक्का पल्ली पुरोहित हैं व फादर पाहन लकड़ा सहायक पल्ली पुरोहित हैं.

रिपोर्ट: महिपाल सिंह व कौशलेंद्र शर्मा

Next Article

Exit mobile version