Christmas 2022: गुमला के पालकोट प्रखंड के सुंदरपुर गांव में 1965 में चर्च की स्थापना हुई थी. वर्तमान में पल्ली पुरोहित फादर लौरेंस टोप्पो हैं. उन्होंने बताया कि वे संत पीयूष ईश मंदिर में आठ साल से लोगों को सेवा दे रहे हैं. आज जहां चर्च है, वहां पहले तीन आम के पेड़ हुआ करते थे. उसी आम के पेड़ के नीचे प्रत्येक रविवार को सुंदरपुर से 40 किलोमीटर दूर कोनवीर नवाटोली से पुरोहित आकर पूजा कराते थे. इसके बाद एक हॉल बना. उसमें ईसाई समुदाय के लोग प्रभु की पूजा करते थे. 1993 में संत पीयूष गिरजाघर की स्थापना हुई.
क्रिसमस पर्व का रहता था पहले काफी उत्साह
उच्च विद्यालय सुंदरपुर के पूर्व शिक्षक 95 वर्षीय पतरस मिंज ने कहा कि मेरे जमाने में क्रिसमस पर्व की उत्साह अलग हुआ करता था. अब तो चकाचौंध का जमाना हो गया है. आज जिस जगह संत पीयूष गिरजाघर बना है. उस जगह तीन आम का पेड़ था. उसी पेड़ के नीचे बैठकर प्रभु यीशु मसीह की आराधना करते थे और उसी जगह सभी कोई अपने-अपने घरों में बनाये पकावन, रोटी को लेकर आते थे. सभी कोई मिलकर खाते थे. नाच-गान करते थे. बुजुर्ग रंजीत कुल्लू ने बताया कि हमलोगों के समय ज्यादा चमक-धमक नहीं होती थी. गांव के लोग जो बाहर काम करने गये होते थे. वे पर्व की छुट्टी में आते थे. उनके पास थोड़े रुपये-पैसे होते थे. उन्हीं लोगों से मिलकर क्रिसमस मनाते थे. इसके अलावा घरों को साफ-सफाई करके आने वाले लोगों को खुलकर स्वागत करते थे.
युवा नहीं बजायेंगे डीजे
ओबिरा महतो टोली के युवा प्रवीण कुल्लू व विनीत कुल्लू ने बताया कि इस बार हमलोग क्रिसमस पर्व में डीजे साउंड का प्रयोग नहीं करेंगे और अखाड़ा में अपने पारंपरिक वाद्ययंत्र जैसे मांदर, ढोलकी, नगाड़े के साथ नाच-गान करेंगे. इसके अलावा क्रिसमस पर्व पर नशापान से दूर रहने के लिए लोगों को प्रेरित करेंगे. लोगों को प्रेम व दया का संदेश देने वाले एकमात्र परमेश्वर के पुत्र के आगमन काल में लोगों को शांति, प्रेम व आपसी भाईचारा के साथ रहने का संदेश देंगे. ईसाई समुदाय के लोगों के साथ ही नहीं, बल्कि दूसरे समुदाय के लोगों को भी क्रिसमस पर्व में आमंत्रित करेंगे और आपसी भाईचारा के साथ जन्म पर्व मनायेंगे.
रिपोर्ट : महीपाल सिंह, पालकोट, गुमला