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Christmas Countdown: यूरोपियन चर्च की तर्ज पर गुमला के नवाडीह में बना चर्च, जानें इसकी खासियत

jharkhand news: यूरोपिय चर्च की तर्ज पर गुमला का नवाडही चर्च बनाया गया है. इस चर्च की स्थापना 1907 में हुई थी. इसके निर्माण में 11 हजार रुपये खर्च हुए थे. चर्च में लगी खिड़कियों के कांच और पेंटिंग बेल्जियम से मंगाये गये थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2021 10:49 PM

Jharkhand news: गुमला के डुमरी प्रखंड अंतर्गत नवाडीह पल्ली का इतिहास उस अतीत और सुदूर घटनाक्रम से जुड़ा है, जिसे सहज से नहीं देखा जा सकता है. वह है बंगाल मिशन और 28 नवंबर 1859 की तिथि. जब 4 बेल्जियम और 3 अंग्रेज यीशु संघियों का पदार्पण कोलकाता (उस समय कलकत्ता) में हुआ था. कलकत्ता उपधर्मप्रांत बहुत विस्तृत था.

संपूर्ण पश्चिम बंगाल, छोटानागपुर का भाग और ओड़िशा तक फैला था. इस क्षेत्र में फादर लिवंस के आगमन के बाद साहूकार, जमींदारी प्रथा, लगान प्रथा के खिलाफ उलगुलान चालू किया. उसके बाद क्षेत्र में फादर लिवंस ने सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक कार्य किये. उन्हीं के प्रयास के बाद नवाडीह में चर्च की स्थापना संभव हो पाया. बरवे क्षेत्र में चर्च निर्माण में फादर लिवंस का बहुत बड़ा योगदान रहा है. बरवे क्षेत्र में सबसे पहले सन 1893 ईस्वी में कटकाही पल्ली, आठ मई सन् 1901 को टोंगो पल्ली और सन 1907 को नवाडीह पल्ली का स्थापना किया गया. नवाडीह के अंतर्गत 12 छोटे छोटे चर्च आते हैं. नवाडीह पल्ली की स्थापना काल सन् 1907-2020 तक 24 पुरोहितों ने अपना योगदान दिया है. अभी पल्ली पुरोहित के रूप में फादर पिंगल कुजूर कार्यरत हैं.

चर्च की दीवार ईंट की चूर, चूना व उड़द की दाल के मिश्रण से बना है

नवाडीह गांव के बुजुर्ग विलियम डुंगडुंग ने चर्च की महत्ता के बारे में बताया कि ब्रिटिश शासन काल (1907 ई) में नवाडीह चर्च भवन बना है. यह चर्च यूरोप के चर्च के स्वरूप में बनाया गया है. उस समय क्षेत्र की जनता भूत-प्रेत, डायन-बिसाही व अंधविश्वास से त्रस्त थी. क्षेत्र में कैथोलिक लोगों की संख्या अधिक थी. उस समय फा लिवंस का डेरा बेर्री गांव में रहता था. उन्होंने क्षेत्र के लोगों को भूत प्रेत, डायन-बिसाही और अंधविश्वास से बचने के लिए उपवास (चर्च) भवन निर्माण की विचार किया. उन्हीं की चेतना से बरवे क्षेत्र में कटकाही, टोंगो और नवाडीह चर्च का निर्माण किया गया.

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उन्होंने बताया कि पहले कॉन्वेट खेल मैदान में एक खपरैल चर्च था. उसके चर्च के टूटने के बाद बेल्जियम से आये फादर मेसर्स ने यूरोप चर्च के नक्शे पर यह चर्च बनावाया. उस समय चर्च मात्र 11 हजार रुपये की लागत में बना था. चर्च की खिड़की में लगे कांच और पेंटिंग सहित अन्य सामग्री बेल्जियम से मंगाये गये थे. चर्च व फादर हाउस की दीवार की जोड़ाई सीमेंट की जगह ईट की चूर, चूना (सुरखी) और उड़द की दाल के मिश्रण से किया गया है. उस समय नवाडीह चर्च कटकाही से संचालित होता था.

अंधविश्वास के खिलाफ काम कर रहा चर्च : फादर पिंगल

नवाडीह चर्च के पल्ली पुरोहित फादर पिंगल कुजूर ने बताया कि इस चर्च की स्थापना बरवे क्षेत्र में मिशनरीज सेवा कार्य को बढ़ाने के लिए किया गया है. इस बरवे क्षेत्र के कटकाही, टोंगो चर्च के साथ इस नवाडीह चर्च की स्थापना किया गया है जो वर्तमान समय में चर्च धार्मिक, समाजिक, अध्यात्मिक, नैतिकता, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बना है. इन सभी सेवा कार्यों को करते हुए चर्च क्षेत्र के विकास के लिए अग्रसर है, जो अपने इन कार्यों के लिए लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. साथ ही प्रखंड के आमजनों के बीच जागरूकता फैलाने का काम भी कर रही है. जैसे अंधविश्वास को मिटाने और ईश्वर पर विश्वास के लिए अच्छा काम हो रहा है.

रिपोर्ट: जगरनाथ/प्रेम प्रकाश, गुमला.

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