1944 में गुमला के रजावल चर्च की हुई स्थापना, 34 युवक बने पुरोहित, विदेशों में भी दे रहे अपनी सेवा

jharkhand news: गुमला के डुमरी में 1944 में रजावल चर्च की स्थापना हुई. इसके स्थापना के साथ ही इसाई मिशनरियों का ईश्वर पर विश्वास जीता. इस चर्च से 34 युवक पुरोहित बने हैं जो देश के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी सेवा दे रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2021 9:28 PM

Christmas Countdown: गुमला जिला अंतर्गत डुमरी प्रखंड के रजावल गांव में आरसी चर्च है. इस चर्च का निर्माण 1944 में हुआ था. इस चर्च से इसाई धर्मावलंबियों का विश्वास जुड़ा है. रजावल पल्ली के पुरोहित फादर सीप्रियन एक्का ने बताया कि यह हॉली फैमिली रजावल चर्च है. इस पल्ली के गांवों से अभी तक 34 पुरोहित बने हैं जो इस पल्ली के लिए अपने आपमें एक इतिहास है. यहां से निकले पुरोहित देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में रहकर भी समाजसेवा कर रहे हैं.

इस चर्च की स्थापना काल सन् 1944 ईस्वी रहा है. उस समय पल्ली के प्रथम पुरोहित एडमन कैम्पियन थे जो सिमडेगा जिला के कुरडेग पल्ली के भिजरीबारी गांव के रहनेवाले थे. उनके सहयोगी फादर याकूब बेक थे. उस काल में कलकत्ता डायसिस से बिशपों के द्वारा पुरोहितों को इस चर्च के संचालन के लिए भेजा जाता था.

लोग कहते हैं कि उस समय क्षेत्र में गरीबी, अशिक्षा, अंधविश्वास था. धर्म-कर्म के नाम पर कुछ नहीं था. ईश्वर को लोग नहीं जानते थे. इस पिछड़े क्षेत्र में चर्च का मुख्य उद्देश्य धर्म और शिक्षा का विस्तार करना था जो कटकाही और नवाडीह पल्ली से कुछ भाग अलग होकर सन् 1944 में रजावल पल्ली का स्थापना किया गया था. इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना था.

Also Read: Christmas Countdown: उच्च शिक्षा पर फोकस है गुमला का रोशनुपर कैथोलिक चर्च, 1970 में हुई थी स्थापना

कॉन्वेंट परिसर में बने पुराने खपरैल चर्च के टूटने के बाद नया चर्च सन् 1974 ईस्वी में बनाया गया. नये चर्च भवन को फादर जोसेफ किंडो द्वारा बनवाया गया. इस पल्ली में गांव चर्च 19, पंचोरा चर्च पांच है. इस पल्ली अंतर्गत एक उच्च विद्यालय है. प्राथमिक विद्यालय है. आरसी बालक/बालिका मवि रजावल है. साथ ही एक निरोगशाला है. वर्तमान में रज़ावल चर्च के 15वें पल्ली पुरोहित के रूप में फादर सीप्रियन एक्का कार्यरत हैं.

रिपोर्ट: प्रेम प्रकाश, डुमरी, गुमला.

Next Article

Exit mobile version