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Christmas Countdown: जंगल के बंदूकधारी बने थे बाधक, फिर भी गुमला के रायडीह में चर्च का हुआ निर्माण

jharkhand news: गुमला के रायडीह में कभी नक्सलियों का वर्चस्व था. जंगल के बंदूकधारी चर्च निर्माण में रोड़ा अटकाता था, लेकिन इसाई समुदाय ने दिन-रात पहरेदारी कर चर्च का निर्माण किया. इसके निर्माण से क्षेत्र में शिक्षा का द्वार खुल गया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2021 10:35 PM

Christmas Countdown: गुमला के रायडीह स्थित संत फ्रांसिस जेवियर चर्च, कापोडीह की स्थापना विकट परिस्थिति में 3 दिसंबर 2003 को हुई थी. चर्च स्थापना के समय गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष माइकेल मिंज व फादर इग्नासियुस खलखो थे. इस चर्च की स्थापना का खास मकसद पल्ली क्षेत्र में शिक्षा की ज्योति जलाना व अज्ञानता को दूर भगाना था.

चर्च स्थापना के समय इसाईयों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था. बंदूकधारी लोग चर्च की स्थापना में रोड़ा बने हुए थे. जब चर्च की स्थापना होने लगी और चर्च बनने लगा, तो 18 साल पहले क्षेत्र में नक्सलियों का काफी वर्चस्व था. चर्च की स्थापना का विरोध भी किया गया. तब इसाई धर्म के लोगों ने रात-रात भर पहरेदारी कर चर्च बनवाया. चर्च बनाने में कई लोगों का काफी सहयोग रहा. चर्च बनने के बाद इन 18 वर्षों में विकास की कई बुलंदियों को छुआ है.

चर्च ने शिक्षा का द्वार खोला : संदीप

कपोडीह गांव के संदीप टोप्पो ने बताया कि इस चर्च को मैंने अपनी आंखों से बनते देखा है. यह चर्च बनने के बाद गांव के लोग शिक्षा से जुड़कर काफी शिक्षित हुए और पढ़ाई के लिए बाहर गये. पढ़ लिख कर काफी लोग नौकरी कर रहे हैं. चर्च बनने से पहले लोग अशिक्षित थे. नशे मे डुबे हुए थे. सही गलत की पहचान नहीं थी. लेकिन, चर्च बनने के बाद स्कूल बना और लोग शिक्षित हुए.

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पल्ली पुरोहित ने जेबरियानुस ने कहा

पल्ली परोहित फादर जेबरियानुस किंडो ने कहा की चर्च की स्थापना क्षेत्र में अज्ञानता, अंधविश्वास, नशाखोरी के बढ़े प्रभाव को कम करने के लिए वरदान साबित हुआ. 18 वर्षों में पल्ली के कई गांव विकास के पथ पर चल पड़ा है. चर्च स्थापना के बाद विशेष कर शिक्षा व स्वास्थ्य पर जोर दिया गया. जैसे जैसे लोग शिक्षित होते गये. वैसे वैसे गांव का विकास होता गया. चर्च सुर्खियों में आता गया.

रिपोर्ट: खुर्शीद आलम, रायडीह, गुमला.

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