ठेकेदार व पेटीदार के झगड़े के कारण बंद है निर्माण कार्य
ढाई साल में भी पूरा नहीं हुआ 24.70 करोड़ रुपये से बन रहा एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय भवन
By Prabhat Khabar News Desk |
March 29, 2024 8:33 PM
ढाई साल में भी पूरा नहीं हुआ 24.70 करोड़ रुपये से बन रहा एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय भवन
सिसई.
सिसई प्रखंड की पुसो पंचायत स्थित कुलकुपी महुआटोली गांव में 24 करोड़, 70 लाख रुपये की लागत से 10 एकड़ में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय भवन बन रहा है. इसका शिलान्यास ढाई साल पहले हुआ था, परंतु ढाई साल बीतने के बाद भी भवन का काम अधूरा है. जितना काम हुआ है, वह भी घटिया तरीके से किया गया है. फिलहाल में काम करने वाला ठेकेदार भाग गया है. विभागीय अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना रवैये से ठेकेदार व पेटीदार के झगड़े के कारण काम बंद हो गया है. लोगों ने बताया कि पिछले एक साल से काम बंद है. अब सवाल खड़ा हो गया है कि एकलव्य स्कूल बनेगा या नहीं. बता दें कि एकलव्य विद्यालय के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर इस क्षेत्र के आदिवासी छात्र-छात्राओं को शिक्षा देकर उनकी तकदीर व तस्वीर दोनों को बदलने की योजना थी. ज्ञात हो कि बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने सिसई के कुलकुपी महुआटोली में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय का ऑनलाइन शिलान्यास किये थे. उस समय उन्होंने कहा था कि दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक रूप से कमजोर अनुसूचित जनजाति के बच्चों को मिडिल से हाई स्कूल तक गुणवत्तापूर्ण मुफ्त शिक्षा देने के उद्देश्य से एकलव्य विद्यालय की स्थापना करायी जा रही है. हर स्कूल में छठवीं से 12वीं तक 240 छात्र व 240 छात्राएं को मुफ्त आवास, भोजन, यूनिफॉर्म और पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करायी जायेगी. साथ ही छात्रों के लिए स्कूल में खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियां व कैरियर मार्गदर्शन के कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे. स्कूल के शिलान्यास से क्षेत्र के लोग खुश थे, किंतु शुरू से ठेकेदार व पेटीदार के झगड़े में निर्माण कार्य उलझ कर रह गया. कभी भी विभागीय अधिकारी निर्माण कार्य को लेकर गंभीर नहीं रहे. यहां तक की स्थानीय सांसद व विधायक भी निर्माण कार्य को झांकने तक नहीं गये. जानकारी के अनुसार ब्रिज एंड रुफ कंपनी को 15 नवंबर 2022 तक कार्य पूर्ण कर विभाग का सौंपना था, किंतु ठेकेदार व पेटीदार में रुपयों की लेन-देन को लेकर झगड़ा इतना बढ़ गया कि मामला कोर्ट तक चला गया और पेटीदार को करीब 40 प्रतिशत काम करने के बाद निर्माण कार्य बंद करना पड़ा.