Coronavirus 3rd Wave News : झारखंड में कोरोना की तीसरी लहर में करीब 7 लाख बच्चे हो सकते हैं संक्रमित, डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स का है अनुमान, अमेरिकी डॉक्टर्स की जानें सलाह
Coronavirus 3rd Wave news (रांची) : कोरोना वायरस संक्रमण की संभावित लहर को लेकर देश समेत झारखंड में चर्चा तेज हो गयी है. डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहत खतरनाक साबित हो सकते हैं. झारखंड में कोरोना वायरस संक्रमण की संभावित तीसरी लहर में करीब 7 लाख बच्चे संक्रमित हो सकते हैं. इसकी रोकथाम को लेकर मंथन शुरू हो गया है. इसी मकसद से रविवार को विमेन डॉक्टर्स विंग IMA, झारखंड की ओर से एक परिचर्चा का आयोजन हेल्थ मिनिस्टर बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में हुआ.
Coronavirus 3rd Wave news (रांची) : कोरोना वायरस संक्रमण की संभावित लहर को लेकर देश समेत झारखंड में चर्चा तेज हो गयी है. डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहत खतरनाक साबित हो सकते हैं. झारखंड में कोरोना वायरस संक्रमण की संभावित तीसरी लहर में करीब 7 लाख बच्चे संक्रमित हो सकते हैं. इसकी रोकथाम को लेकर मंथन शुरू हो गया है. इसी मकसद से रविवार को विमेन डॉक्टर्स विंग IMA, झारखंड की ओर से एक परिचर्चा का आयोजन हेल्थ मिनिस्टर बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में हुआ.
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 18 साल से नीचे एक करोड़ 43 लाख 49 हजार 680 की आबादी है. जिसमें 5 फीसदी के हिसाब से 7 लाख 17 हजार 484 के संक्रमित होने का अनुमान लगाया गया है. इसमें 40 फीसदी (2,86,994 बच्चों) के सिम्टोमैटिक होने, 82 फीसदी (2,35,335 बच्चों) में माइल्ड केस, 15 फीसदी (43,049 बच्चों) में मॉडरेट केस व 3 फीसदी (8,610 बच्चों) में सीवियर केस का अनुमान है.
कोरोना वायरस संक्रमण से संक्रमित होने के 2 से 4 सप्ताह बाद कई बच्चों में मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम (MIS-C) पाया गया है, जो कोरोना के बाद एक दूसरी समस्या साबित होगी. बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम एक खतरनाक स्थिति है जो आमतौर पर नये कोरोना वायरस से संक्रमित होने के 2 से 4 सप्ताह बाद जाहिर होता है और उसे दो माह के शिशुओं तक में भी इस बीमारी को देखा गया है.
इस मौके पर हेल्थ मिनिस्टर बन्ना गुप्ता ने कहा कि वर्तमान कोविड के रोग सूचकांक को देखने से पता चलता है कि कोविड से ग्रसित शिशु एवं अल्प व्यस्क कोविड के कारण हॉस्पिटल की आवश्यकता होगी. कहा कि ऐसा नहीं है कि कोविड की दूसरी लहर में बच्चे ग्रसित नहीं हुए. बच्चे एवं अल्प व्यस्क भी कोरोना से ग्रसित हुए, लेकिन हल्का लक्षण के कारण एवं उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण घर पर ही उनका इलाज संभव हो सका.
अमेरिकी डॉक्टरों ने दिये सुझाव
कोविड -19 की तीसरी लहर को रोकने के लिए जितनी जल्दी हो सके सारी आबादी को टीका लगाना जरूरी है. इस दौरान लोगों को सोशल डिस्टैंसिंग, मास्क पहनना और हाथ धोने जैसी सावधानियां बरतने रहना चाहिए. कहा कि कोविड -19 संक्रमण की तीसरी लहर ज्यदातर बच्चों को प्रभावित कर सकती है. डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड -19 के लक्षणों और मिस-सी के लक्षणों को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. उपचार प्रोटोकॉल बना कर उसका सही पालन कर ही बच्चों को बचाया जा सकता है.
रोग से प्रभावित बच्चों को तुरंत पेडियेट्रिक ICU में ट्रांसफर किया जाना चाहिए
पेडियेट्रिक ICU वाले अस्पताल को पूर्ण रक्त गणना, पूर्ण मेटाबॉलिक प्रोफाइल, ट्रोपोनिन-1, क्रिएटिनिन, BNP] CRP सहित बुनियादी ब्लड टेस्ट की क्षमता वाली पैथोलॉजी सुविधाओं से सुसज्जित करने पर ही ICU में बच्चों का जल्द इलाज संभव हो सकेगा.
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हार्ट के मसल को करेगा प्रभावित
12 लीड वाला इलेक्ट्रो कार्डियोग्राम और इकोकार्डियोग्राम उपकरण जरूरी है क्यूंकि यह बीमारी हार्ट के मसल को बहुत प्रभावित करती है, जिसे मायोकारडाइटिस कहते हैं. उसके रीडिंग यानी रिजल्ट को समझ कर उचित ट्रीटमेंट देने के लिए पेडियेट्रिक ICU एक्सपर्ट डॉक्टर एवं पेडियेट्रिक हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर की उपस्थिति अनिवार्य है, ताकि तत्काल बच्चों के खून की जांच एवं हार्ट की जांच हो सके.
क्रेश कार्ट में उपलब्ध हो आवश्यक दवाइयां
पेडियेट्रिक ICU बच्चों के इलाज के लिए सभी आवश्यक दवाओं की उपलब्धता क्रेश कार्ट में होना चाहिए. उपचार प्रोटोकॉल बनाया जाना चाहिए और उसका पालन किया जाना चाहिए. मिस-सी वाले बच्चों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ सामान्य दवाएं एमिओडारोन, एपिनेफ्रीन, सोडियम बाइकार्बोनेट, कैल्शियम क्लोराइड, डेक्सामेथासोन, इंट्रा वेनस इम्यूनोग्लोबुलिन, एनाकिनेरा (इंटरल्यूकिन-1 अवरोधक), और एंटीकोगुलेशन दवाएं हैं. वहीं, मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) से ठीक हुए बच्चों को कम से कम 6 महीने से एक वर्ष तक अत्याधिक गति वाले खेलों एवं अत्याधिक गति वाले एक्टिविटी से बचना चाहिए.
इस मौके पर अमेरिका के जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञों ने झारखंड में कार्यरत माल न्यूट्रिशन ट्रीटमेंट सेंटर (MTC), स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU), न्यूबोर्न स्टेबिलाइजेशन यूनिट्स (NBSU) के सभी चिकित्सकों तथा शिशु रोग विभाग रिम्स रांची, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज धनबाद, महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर, फूलो झानो मुर्मू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल दुमका, शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज हजारीबाग, मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पलामू में कार्यरत शिशु रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षण प्रदान कराया गया.
इस कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक अमेरिका से डॉ योंजा बुलेट (प्रोफेसर ऑफ पीडियाट्रिक, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया एंड लोस एंजेलस, डॉ रवि कश्यप (मेडिकल डायरेक्टर, इंटेंसिव केयर यूनिट, यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस) एवं डॉ पूजा कश्यप (सीनियर पेडियेट्रिक कार्डियोलोजिस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास) थे. बच्चों के ICU में किस तरह से इलाज किया जाये इसका गहन प्रशिक्षण भी इन लोगों ने दिया.
Posted By : Samir Ranjan.