संकट की घड़ी में इनसे सीखें मदद करना. खुद गरीबी में जी रहे हैं. परंतु कोरोना संकट के समय ग्रामीण एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं गुमला जिले के बसिया प्रखंड स्थित बोंगालोया गांव की. इस गांव के लोग एक दूसरे की मदद कर झारखंड राज्य में मिशाल पेश कर कर रहे हैं. यह गांव कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है.
हर संकट से निपटने के लिए खुद तैयारी की है. जिसके घर खाने को अनाज नहीं है. उसके घर ग्रामीण पहुंच रहे हैं. खाने का अनाज दे रहे हैं. साफ सफाई पर भी ध्यान दिया जा रहा है. दूसरे राज्य से आने वाले लोगों की अस्पताल ले जाकर जांच कर रहे हैं. उन्हें 14 दिनों तक घर पर ही होम क्वारेंटाइन में रखा जा रहा है.
ऐसे कर रहे मदद
ग्रामीणों ने गांव के ही घर से अनाज जमा किया है. क्षमता के अनुसार लोगों ने अनाज दान किया है. जिसके घर में खाने के लिए कम अनाज है उसने भी एक मुट्ठी चावल दिया है. जिसके घर में ज्यादा चावल है. उसने अपनी क्षमता के अनुसार अधिक चावल दिया है. सभी चावल को एक जगह रखा गया है. जिसके घर में अनाज नहीं है. चूल्हा नहीं जल रहा है. उसके घर में ग्रामीण पहुंच रहे हैं. उन्हें अनाज दे रहे हैं.
एक-एक मुट्ठी कर तीन बोरा अनाज किया जमा
गांव के रत्नेश गोप की अगुवाई में यह पहल की गयी है. गांव के प्रद्धुमन राम, सोमा उरांव, सोमारी देवी, चरका झोरा, हलधर राम, सुकरा केरकेट्टा, झालो देवी, सुंदरी देवी, मीनू राम, अजीत इंदवार, राजेंद्र गोप, रमेश गोप, फुलचंद झोरा, अनुज लोहरा, मंगरा उरांव, ईश्वर गोप ने समूह बनाकर प्रत्येक घर में जाकर एक-एक मुट्ठी अनाज जमा किया है. तीन बोरा अनाज जमा हुआ है. करीब 150 किलो चावल है. जब किसी परिवार को जरूरत पड़ती है तो जरूरत के अनुसार एक से दो व तीन किलो तक अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है.
ग्रामीण रत्नेश गोप ने कहा कि लॉकडाउन है. काम बंद है. कई लोग गरीब हैं. इसलिए गांव के लोगों ने अनाज जमा कर गरीबों में बांटने की पहल की है. हमारा मकसद है. कोई भी गरीब भूखा न सोए. इसलिए दूसरे के सामने हाथ फैलाने से अच्छा है. हम एक दूसरे की खुद मदद कर रहे हैं.