गुमला जिले में संकट में हैं भाकपा माओवादी, पुलिस, कोबरा, झारखंड जगुवार चला रहा ऑपरेशन चक्रव्यूह

शुक्रवार को पांच दिन हो गया. सुरक्षा बल जंगल में ही घूम रहे हैं और नक्सलियों के संभावित छिपे हुए स्थानों पर सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं. पुलिस को सूचना है कि भाकपा माओवादी के दो एरिया कमांडर व कुछ सक्रिय सदस्य जंगल में हैं. पुलिस का दावा है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 17, 2021 12:53 PM

गुमला : इसबार भाकपा माओवादी संकट में फंस गये हैं. सुरक्षा बलों का ऑपरेशन चक्रव्यूह जारी है. पुलिस को पुख्ता सूचना है. अभी भी भाकपा माओवादी के 12 से 13 नक्सली जंगल में छिपे हुए हैं. इन नक्सलियों को पकड़ने या मुठभेड़ में मार गिराने के मकसद से सुरक्षा बल जंगल की घेराबंदी कर ऑपरेशन चला रही है. सीआरपीएफ, कोबरा, झारखंड जगुवार व गुमला पुलिस ने केरागानी, कोचागानी, मरवा, रोरेद सहित आसपास के गांव के जंगलों की घेराबंदी की है.

शुक्रवार को पांच दिन हो गया. सुरक्षा बल जंगल में ही घूम रहे हैं और नक्सलियों के संभावित छिपे हुए स्थानों पर सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं. पुलिस को सूचना है कि भाकपा माओवादी के दो एरिया कमांडर व कुछ सक्रिय सदस्य जंगल में हैं. पुलिस का दावा है. भाकपा माओवादी का एरिया कमांडर रंथु उरांव व लजीम अंसारी अभी भी जंगल में छिपे हुए हैं. परंतु पुलिस के साथ लगातार हुई मुठभेड़ में सभी नक्सली बिखर गये हैं.

जहां-तहां सभी छिपे हुए हैं. कुछ नक्सली तीन-चार तो कुछ नक्सली एक-दो की संख्या में जंगल में डेरा जमाये हुए हैं. सुरक्षा बलों को शक है कि नक्सली अपनी सुरक्षा के लिए किसी गांव में घुस सकते हैं. इसलिए सुरक्षा बलों की नजर गांवों पर है. जबकि सुरक्षा बलों की कुछ टुकड़ियां जंगल में घुसकर नक्सलियों को खोज रही है. पुलिस के वरीय अधिकारियों के अनुसार अभी ऑपरेशन चक्रव्यूह जारी रहेगा. यहां बता दें कि 15 लाख के इनामी नक्सली बुद्धेश्वर उरांव के मारे जाने के बाद भाकपा माओवादियों को बहुत बड़ा झटका लगा है.

करीब 20 सालों से बुद्धेश्वर उरांव गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार व जशपुर जिला के बॉर्डर इलाके में संगठन को मजबूती प्रदान किए हुए था. परंतु बुद्धेश्वर के मारे जाने के बाद अब गुमला जिले में कोई बड़ा नेता नहीं बचा. चूंकि बुद्धेश्वर को संगठन ने दक्षिणी कोयल शंख जोन का सचिव व रिजनल कमेटी का सदस्य बनाया था. परंतु बुद्धेश्वर के खात्मे से अब सिर्फ एरिया कमांडर के स्तर के नक्सली बचे हैं.

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