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गुमला में करोड़ों रुपये की लागत से बना सांस्कृतिक भवन बिना उपयोग के हो रहा जर्जर

Jharkhand news, Gumla news : झारखंड के गुमला जिला में सरकारी राशि का दुरुपयोग आम बात हो गयी है. कोई देखने और पूछने वाला भी नहीं है. अधिकारी अपने मन से काम कर रहे हैं. अधिकारी जहां मन बन रहा है करोड़ों रुपये का भवन बना दे रहे हैं, लेकिन इन भवनों का उपयोग नहीं हो रहा है. यहां के विधायक और सांसद भी इस मामले में मुंह मोड़े हुए हैं. करोड़ों रुपये से सरकारी भवन जो बनने के बाद एक दिन भी उपयोग नहीं हुआ. अब खंडहर होने लगा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2020 8:31 PM

Jharkhand news, Gumla news : गुमला (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिला में सरकारी राशि का दुरुपयोग आम बात हो गयी है. कोई देखने और पूछने वाला भी नहीं है. अधिकारी अपने मन से काम कर रहे हैं. अधिकारी जहां मन बन रहा है करोड़ों रुपये का भवन बना दे रहे हैं, लेकिन इन भवनों का उपयोग नहीं हो रहा है. यहां के विधायक और सांसद भी इस मामले में मुंह मोड़े हुए हैं. करोड़ों रुपये से सरकारी भवन जो बनने के बाद एक दिन भी उपयोग नहीं हुआ. अब खंडहर होने लगा है.

प्रभात खबर ने गुमला शहर से सटे कुछ सरकारी भवनों की जांच पड़ताल की. किस कदर यहां सरकारी राशि की लूट हुई है. इसका उदाहरण नजदीक में देखा जा सकता है. जब शहर से सटे गांव और मुहल्ले में करोड़ों रुपये का भवन खंडहर हो रहा है, तो इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि गुमला जिले के दूरस्थ गांवों की क्या स्थिति होगी. हम बात कर रहे हैं सांस्कृतिक भवन की.

गुमला शहर से सटे दुंदुरिया बरिसा के पहाड़ के बगल में सांस्कृतिक भवन बना है. यह भवन बनकर तैयार है. 3 साल पहले यह भवन बन गया था, लेकिन अभी तक इसका उपयोग नहीं हो रहा है. देखरेख के आभाव में अब यह भवन बेकार होने लगा है. अगर इस भवन का जल्द उपयोग नहीं हुआ, तो यह आने वाले एक-दो सालों में खंडहर हो जायेगा, क्योंकि गुमला में सरकारी भवनों से सामानों की चोरी आम बात है.

जिस भवन का उपयोग नहीं होता है. जो भवन लंबे समय तक बेकार रहता है. उस भवन की खिड़की, दरवाजे और ईंट रातों-रात गायब हो जाती है. गुमला में कई भवन ईंट समेत गायब हो चुका है. इसके बाद भी प्रशासन को सुध नहीं है. भवन बनाकर उसका उपयोग नहीं होना और ना ही किसी को देखरेख का जिम्मा दिया गया है, जबकि स्थानीय लोग उक्त भवन के उपयोग करने की मांग लगातार करते रहे हैं.

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दरवाजा एवं खिड़की के बाद ईंट भी हो रहा गायब

दुंदुरिया स्थित भवन का दरवाजा एवं खिड़की गायब हो गया है. मात्र ग्रिल बचा है. वह भी कब गायब होगा. कहा नहीं जा सकता. फिलहाल भवन का ईंट दीवार तोड़ कर गायब करने का काम किया जा रहा है. भवन के चारों ओर घास- फूस उग आये हैं. छत की स्थिति भी ठीक नहीं है. छत से पानी टपकता है. जिस स्थान पर यह भवन बना है वहां कोई नहीं है. वहां से आधा किमी की दूरी पर बस्ती है. जिस कारण ग्रामीण भी उक्त भवन की देखरेख करने में असमर्थ हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस भवन को अनाथालय या अन्य किसी जनोपयोगी में लाया जाये, जिससे इसका लाभ मिल सके.

कुड़ूख भवन बना, परंतु सुविधा नहीं

इधर, गुमला शहर से सटे पुग्गू में भी करोड़ों रुपये का कुड़ूख सांस्कृतिक भवन बना है. यह भवन चकाचक है. रंग- रोगन सुंदर किया गया है, लेकिन इस भवन में जो सुविधा होनी चाहिए वह नहीं है. बिजली नहीं है. बैठने के लिए टेबल और कुर्सी की व्यवस्था नहीं की गयी है. हालांकि, इस भवन में 2-3 बार ग्रामीण बैठक कर चुके हैं. पुग्गू पंचायत के मुखिया बुद्धू टोप्पो जो लगातार भवन को चालू कराने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि भवन बन गया है, लेकिन जो गुणवत्ता होनी चाहिए वह नहीं है. फिर भी काम चलाऊ ठीक है. यहां बिजली नहीं है. बैठने की व्यवस्था नहीं है. मुखिया ने बताया कि प्रशासन ने कहा है कि कुछ कुर्सी- टेबल आया है, लेकिन अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. भवन का चाभी मेरे पास है. मेरा प्रयास रहेगा कि भवन सुंदर रहे. इसका उपयोग होता रहे.

सुनसान जगह में बनाया शौचालय

शहर के दुंदुरिया बस्ती में एक कोने में नगर परिषद से लाखों रुपये की लागत से शौचालय बना है. यह भवन भी वर्षों से बेकार है. इसके खिड़की को किसी ने तोड़ दिया है. इस शौचालय को बनाने में सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया है, क्योंकि जिस स्थान पर शौचालय भवन बना है. उसके बगल में मात्र एक घर है, जबकि बस्ती शौचालय भवन से काफी दूर है. वहां कोई नहीं जाता है. जिस कारण भवन का उपयोग नहीं हो रहा है. यहां तक कि नगर परिषद द्वारा शौचालय का टेंडर निकाला जाता है, लेकिन सुनसान जगह में शौचालय होने के कारण उसका टेंडर भी कोई नहीं लेता है. लोगों ने कहा कि शौचालय बनाने के लिए जगह का चयन गलत तरीके से किया गया है.

इधर, भवन प्रमंडल गुमला के ईई बिहारी लाल मुंडा पुग्गू स्थित कुड़ूख सांस्कृतिक भवन की स्थिति पर कहते हैं कि यह भवन बनकर तैयार है. कला, संस्कृति विभाग को हैंड ओवर भी कर दिया गया है. भवन मजबूत है. लोगों की जरूरतों को देखते हुए इसे बनाया गया है.

Posted By : Samir Ranjan.

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