गुमला : जंगलों में हो रही पेड़ों की कटाई, सूचना देने के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई
ग्रामीणों ने अनुमंडल पदाधिकारी से अनुरोध किया है कि इस मामले को गंभीरता से ले और वन विभाग को नियमित रूप से जंगली क्षेत्रों का निरीक्षण करने हेतु निर्देश दें, ताकि जंगल से पेड़ों की कटाई रोकी जा सके.
गुमला : गुमला प्रखंड की कतरी व कोटाम पंचायत के किता, बरकनी, चुहरू, डुमरडीह, जोरी, जैरागी, पतगच्छा, मड़वा आदि गांव के जंगलों से पेड़ों की अवैध कटाई चल रही है. पेड़ों की अवैध कटाई से न केवल जंगल सिमटते जा रहे है, बल्कि पर्यावरण व उक्त क्षेत्र के स्थानीय लोगों को भी नुकसान हो रहा है. ग्रामीणों के अनुसार जंगलों से पेड़ों की अवैध कटाई को रोकने के लिए वन विभाग के कर्मियों को फोन कर इसकी जानकारी एक बार नहीं, बल्कि कई बार दी गयी है. परंतु विभाग द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. अब ग्रामीणों ने मंगलवार को सदर अनुमंडल पदाधिकारी गुमला को हस्ताक्षरयुक्त आवेदन दिया है. आवेदन के माध्यम से ग्रामीणों ने अनुमंडल पदाधिकारी से जंगलों से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाने की मांग की है. ग्रामीणों ने आवेदन को प्रभात खबर को भी दिया है.
साथ ही जंगल से काटे गये पेड़ों का फोटो भी उपलब्ध कराया है. आवेदन में उल्लेखित है कि पहाड़ी क्षेत्र किता, बरकनी, चुहरू, डुमरडीह, जोरी, जैरागी, पतगच्छा, मड़वा आदि गांवों में पड़ने वाले जंगलों से पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है. इससे पर्यावरण समेत हमलोगों को नुकसान हो रहा है और जंगल का क्षेत्रफल भी दिनोंदिन उजड़ते जा रहा है. इस संबंध में वनरक्षी को बार-बार फोन कर जानकारी दी गयी है, परंतु वनरक्षी द्वारा टालमटोल किया जाता है और हमें ही बरगलाने का काम किया जाता है. विभागीय उदासीनता व लापरवाही से अभी तक जंगल से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक नहीं लगायी जा सकी है.
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इस कारण हजारों पेड़ों को काट दिया गया है. ग्रामीणों ने अनुमंडल पदाधिकारी से अनुरोध किया है कि इस मामले को गंभीरता से ले और वन विभाग को नियमित रूप से जंगली क्षेत्रों का निरीक्षण करने हेतु निर्देश दें, ताकि जंगल से पेड़ों की कटाई रोकी जा सके. आवेदन में बदरी महतो, रामप्रसाद उरांव, प्रमोद महतो, संदीप महतो, निरंजन महतो, अर्जुन महतो, गंगा कुमारी, दीपज्योति कुमारी, प्रतिमा कुमारी, कलेश्वरी देवी, बिरसी देवी, धनुर्धारी महतो, कुंवर तुरी, सुमित्रा देवी, झालो देवी, धलनमनिया उरांव समेत अन्य ग्रामीणों के हस्ताक्षर हैं.