प्लान बनाकर शहीदों के गांवों का विकास करे सरकार, विधानसभा में बोले गुमला के विधायक भूषण तिर्की

भारत-पाक युद्ध, कारगिल युद्ध, नक्सली मुठभेड़, नक्सली हमले समेत कई युद्धों में गुमला के सैनिक भाग लेकर अपनी शहादत देते रहे हैं. परंतु, शहीद हुए गांवों की स्थिति खराब है. आज भी दर्जनों शहीद के गांव विकास का इंतजार कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 20, 2023 11:06 PM

गुमला, जगरनाथ पासवान : प्रभात खबर ने शहीद के गांव का मुद्दा उठाया है. गुमला जिले के कई वीर सैनिकों ने युद्ध के दौरान शहादत दी, परंतु आज भी शहीद के गांवों की स्थिति बदहाल है. शहीद के परिजन भी सरकारी योजनाओं से वंचित हैं. यहां तक की कई ऐसे शहीद हैं, जो गुमनाम हैं. प्रभात खबर में समाचार छपने के बाद गुमला विधायक भूषण तिर्की ने मामले को गंभीरता से लिया. उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान शहीद के गांवों का मुद्दा उठाया है. साथ ही सरकार से शहीदों के गांवों के विकास प्लानिंग के तहत काम करने की मांग की, ताकि वर्षों से उपेक्षित शहीदों के गांवों का विकास हो सके. विधायक ने इस संबंध में लिखित आवेदन भी सरकार को सौंपा है. इसमें उन्होंने कहा है कि गुमला जिले वीरों की भूमि है. भारत-पाक युद्ध, कारगिल युद्ध, नक्सली मुठभेड़, नक्सली हमले समेत कई युद्धों में गुमला के सैनिक भाग लेकर अपनी शहादत देते रहे हैं. परंतु, शहीद हुए गांवों की स्थिति खराब है. आज भी दर्जनों शहीद के गांव विकास का इंतजार कर रहे हैं. खासकर गुमला विस क्षेत्र के डुमरी, चैनपुर, रायडीह, जारी में शहीदों के दर्जनों गांव हैं. इन गांवों के विकास के लिए प्लान बना कर विकास करने की जरूरत है, ताकि शहीदों को उचित सम्मान मिल सके. शहीद के गांवों में चैनपुर प्रखंड के उरू बारडीह, रायडीह प्रखंड के तेलया, डुमरी प्रखंड के आकाशी पकरीटोली, जैरागी कपासगुटरा, कोठी गांव, जारी प्रखंड समेत कई गांव हैं.

झारखंड का गुमला ऐसा जिला है, जहां सभी 12 प्रखंडों में शहीदों के गांव हैं. कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां पांच से छह बेटों ने देश के लिए अपनी जान दी है. मैंने सरकार से मांग की है कि प्लान बना कर शहीदों के गांवों का विकास करे.

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गुमला के दर्जनों गांव के बेटों ने दी है शहादत

इसके अलावा बिशुनपुर, घाघरा, सिसई, भरनो, बसिया, कामडारा, पालकोट प्रखंड में दर्जनों गांव हैं, जहां के बेटों ने शहादत दी है. बता दें कि प्रभात खबर ने शहीद के गांव मुहिम शुरू की है. इस मुहिम के तहत गांवों की दुर्दशा व शहीद के परिवार की स्थिति को सरकार व प्रशासन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि गुमला प्रशासन की नजरों से शहीद के गांव ओझल रहा है. यही वजह है कि आज भी शहीद के गांव विकास को तरस रहा है.

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