झारखंड : 6 लाख के इनामी नक्सली के सरेंडर करने पर डीआईजी अनूप बिरथरे की अपील, कहा- मुख्यधारा से जुड़ें

छह लाखे के इनामी सबजोनल कमांडर खुदी मुंडा के सरेंडर करने को पुलिस बड़ी सफलता मान रही है. इसी को देखते हुए डीआईजी अनूप बिरथरे ने नक्सलियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ने की अपील की है. कहा कि सरकार के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से इन नक्सलियों का जीवन बेहतर होगा. किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2023 9:08 PM

गुमला, दुर्जय पासवान : भाकपा माओवादी के सबजोनल कमांडर खुदी मुंडा के सरेंडर को लेकर पुलिस लाइन चंदाली में कार्यक्रम हुआ. मुख्य अतिथि डीआईजी अनूप बिरथरे ने नक्सलियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ने की अपील किया. साथ ही परिवार व समाज के साथ रहने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत खुदी मुंडा ने आत्मसमर्पण किया है. यह एक अच्छा प्रयास है. इस नीति के तहत तीन वर्ष में पुलिस को बहुत सफलता मिली है.

नक्सलियों का मुख्यधारा में लौटना सराहनीय कदम

डीआईजी ने कहा कि जुलाई 2021 में बुधेश्वर उरांव को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था. वहीं, वर्ष 2022 में ऑपरेशन डबल बुल के तहत 30 से अधिक हथियार जब्त किया गया. साथ ही 15 से अधिक नक्सलियों को गुमला, लोहरदगा व लातेहार जिला से गिरफ्तार किया गया. कहा कि वर्ष 2023 में एक जून को दो लाख का इनामी भाकपा माओवादी राजेश उरांव को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया. वहीं, दो जून को पुलिस ने छह लाख के इनामी लजीम अंसारी को एनकाउंटर में मार गिराया. आज भाकपा माओवादी के सबजोनल कमांडर खुदी मुंडा ने सरेंडर किया है. इसका यह कदम सराहनीय है. इस नीति में इसके ऊपर रखा इनाम की राशि, शहर में चार डिसमिल जमीन, पीएम आवास की सुविधा मुहैया कराया जायेगा. साथ ही खुदी मुंडा को खुली जेल में शिफ्ट किया जायेगा. इनके परिवार को शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा भी मुहैया करायी जायेगी.

रंथु उरांव से भी सरेंडर करने की अपील

डीआईजी ने कहा कि गुमला में एक माओवादी रंथु उरांव बच गया है. उन्होंने मीडिया के माध्यम से उसे भी आत्मसमर्पण करने की अपील की है. अगर उसने सरेंडर नहीं किया, तो पुलिसिया कार्रवाई में मार गिराया जायेगा. एसपी डॉ एहतेशाम वकारीब ने कहा कि गुमला पुलिस का प्रयास है. गुमला को नक्सलमुक्त जिला बनाना है. इसी के तहत नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है.

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सरेंडर करने पर प्रशासन मदद करेगा : डीडीसी

डीडीसी हेमंत सती ने कहा कि आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति अहम कड़ी साबित हो रही है. इससे नक्सली खुद सरेंडर कर इसका लाभ उठायें और अपने परिवार की चिंता से मुक्त हो जाये. उन्होंने खुदी मुंडा के सरेंडर करने पर कहा कि जिला प्रशासन हर संभव इनके परिवार के साथ खड़ा है जो सुविधा इन्हें मुहैया करायी जाती है. वे सभी सुविधा इन्हें मुहैया करायी जायेगी. सीआरपीएफ कमांडेट एनके खान ने खुदी मुंडा के सरेंडर करने की प्रशंसा करते हुए कहा कि इनका प्रयास समाज की मुख्यधारा में लौटने का प्रयास है जो सराहनीय है. सभी नक्सलियों को ऐसा प्रयास करना चाहिए. इसे मुख्यधारा में लौटाने में जिला पुलिस बल का अहम योगदान है. इसलिए वे भी बधाई के पात्र हैं. कार्यक्रम में एएसपी अभियान मनीष कुमार, डीएसपी प्राण रंजन, एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल, सार्जेंट मेजर प्रदीप प्रणव, थानेदार मनोज कुमार, कुरूमगढ़ थानेदार नीतीश कुमार, डीटीओ विजय सिंह बिरूआ सहित दर्जनों पुलिस पदाधिकारी व पुलिस जवान शामिल थे.

ऐसे बना खुदी नक्सली, आईईडी बम बनाने में माहिर था

खुदी मुंडा ने पत्रकारों को बताया कि वर्ष 1996 में अपने चचेरे भाई बॉबी मुंडा से प्रभावित होकर माओवादी में शामिल हुआ था. उसने बताया कि जब भी उसका चचेरा भाई गांव आता था, तो समान पहुंचाना व पुलिस के आवागमन की सूचना देने का कार्य करने लगा. इसके बाद वर्ष 1999 में बॉबी मुंडा के साथ लापुंग क्षेत्र में हथियारों की लूटपाट व कई नक्सली घटनाओं में शामिल रहा. वर्ष 2001 गिरफ्तार हो जेल गया. जेल में कई उग्रवादी संगठनों के सदस्यों से जान पहचान हुई. वर्ष 2005 में जेल से बाहर आया. गांव के निजी विवाद के कारण भाकपा माओवादी के कमांडर मनोज नगेशिया व सिलबेस्टर लकड़ा के संपर्क में आया. पालकोट, कोलेबिरा, सिमडेगा गुमला में दस्ता के साथ घूमने लगा. वर्ष 2008 में पालकोट, कोलेबिरा, सिमडेगा, गुमला का एरिया कमांडर बनाया गया. वर्ष 2009 में रिजनल कमांडर सिलबेस्टर लकड़ा द्वारा पालकोट-सिमडेगा का सब जोनल कमांडर बनाया गया. साथ ही .315 रायफल, मोबाइल व मैनपैक दिया गया. वर्ष 2009 से वर्ष 2016 तक पालकोट- सिमडेगा में लगातार रहा. वर्ष 2016 से 2019 तक बूढ़ा पहाड़ एवं अन्य क्षेत्रों में एसएसी सदस्य नवीन के कंपनी में रहकर आइइडी अन्य प्रकार के बम बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर क्रियाशील रहा. वर्ष 2019 में पालकोट क्षेत्र में संगठन कमजोर होने के कारण पुन: पालकोट-सिमडेगा क्षेत्र का सब जोनल कमांडर बनाया गया.

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