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प्रवासी मजदूरों के जंगल में रहने के फरमान के बाद गांव में विवाद, बनी सहमति, घर में रहेंगे मजदूर

कोरोना संकट के बीच प्रदेश से गांव लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को जंगल में एकांत जगह रहने के लिए ग्रामीणों द्वारा फरमान जारी किया है. इस फरमान के बाद गांव में दो पक्षों में विवाद उत्पन्न हो गया है. एक पक्ष मजदूरों को जंगल में रहने के लिए कहा रहा है, जबकि दूसरा पक्ष का कहना है कि प्रशासन ने घर में रहने के लिए कहा है.

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गुमला : कोरोना संकट के बीच प्रदेश से गांव लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को जंगल में एकांत जगह रहने के लिए ग्रामीणों द्वारा फरमान जारी किया है. इस फरमान के बाद गांव में दो पक्षों में विवाद उत्पन्न हो गया है. एक पक्ष मजदूरों को जंगल में रहने के लिए कहा रहा है, जबकि दूसरा पक्ष का कहना है कि प्रशासन ने घर में रहने के लिए कहा है. इसलिए होम कोरेंटिन में ही सभी मजदूर रहेंगे. यह मामला बिशुनपुर प्रखंड के बड़कादोहर गांव की है. क्या है पूरा मामला, पढ़े दुर्जय पासवान की रिपोर्ट.

प्रवासी मजदूरों का अपने गांव-घर लौटना जारी है. इसी क्रम में तमिलनाडु से 10 प्रवासी मजदूर अपने गांव बड़कादोहर पहुंचे. यह गांव पूरी तरह नक्सल प्रभावित है. जो मजदूर गांव लौटे हैं उनके हाथों में स्टांप मारा गया है. प्रशासन ने होम कोरेंटिन में रहने के लिए कहा है. बिशुनपुर प्रखंड के अस्पताल में सभी की जांच के बाद चिकित्सकों ने प्रवासियों को होम कोरेंटिन के लिए भेजा है. इसके बाद ही सभी प्रवासी मजदूर गांव पहुंचे. लेकिन, गांव पहुंचते ही गांव की सीमा पर कुछ लोगों ने उन्हें रोक लिया.

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ग्रामीणों ने कहा कि गांव में घुसने की जरूरत नहीं है. जंगल के समीप एकांत में बने एक घर में रहकर सोशल डिस्टैंसिंग में रहो, ताकि तुम भी सुरक्षित रहोगे और हमारा गांव भी कोरोना मुक्त रहेगा. ठीक इसके विपरीत गांव के दूसरे पक्ष ने सभी प्रवासी मजदूरों को गांव में घूमने पर रोक लगाते हुए अपने घर में ही रहने का फरमान जारी कर दिया. इसके बाद गांव के ग्रामीण दो गुट में बंट गये और विवाद शुरू हो गया.

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गांव में तनातनी की सूचना पर बुधवार को बीडीओ छंदा भट्टाचार्य, प्रमुख रामप्रसाद बडाइक, थानेदार मोहन कुमार व समाजसेवी भिखारी भगत गांव पहुंचे. पदाधिकारियों व समाजसेवियों ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद मामले को आपसी सहमति से निपटाया. साथ ही सभी मजदूरों को अपने घर में ही रहने के लिए कहा गया. अधिकारियों के समझाने के बाद ग्रामीण माने और विवाद खत्म हुआ.

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