झारखंड में सुरक्षा की मांग को लेकर हड़ताल पर रहे डॉक्टर्स, ओपीडी सेवा ठप, मरीजों को हुई परेशानी
झारखंड में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट समेत अन्य मांग को लेकर राज्य के सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स बुधवार को हड़ताल पर रहे. इसके कारण मरीजों को काफी परेशानी हुई. हड़ताल के कारण ओपीडी सेवा प्रभावित हुआ. हालांकि, इमरजेंसी सेवा जारी रहा. चिकित्सकों ने सुरक्षा की मांग की.
Jharkhand News: झारखंड के डॉक्टरों ने सुरक्षा की मांग को लेकर बुधवार एक मार्च, 2023 को पूरे राज्य में कार्य बहिष्कार किया. इसका असर गुमला में भी देखने को मिला. डॉक्टर एवं चिकित्सा कर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर अस्पताल गेट के समीप धरना प्रदर्शन किये. डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण ओपीडी सेवा ठप रहा. जिससे मरीजों को काफी परेशानी हुई. सदर अस्पताल, गुमला का पुर्जा वितरण केंद्र, लैब, एक्सरे, एड्स जांच केंद्र, जन्म प्रमाण पत्र केंद्र पूरी तरह से बंद रहा. दूर-दराज से आये मरीज बिना इलाज कराये बैरंग वापस लौट गये. सदर अस्पताल, गुमला में सिर्फ इमरजेंसी सेवा चालू रही. जिसमें एक्सीडेंट, प्रसव आदि सुविधाएं शामिल थी. विरोध प्रदर्शन सुबह 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक रहा.
मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग
इस संबंध में आईएमए, गुमला के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र नारायण यादव ने कहा कि राज्य में हमेशा चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार होता है. कभी चिकित्सकों के साथ मारपीट सहित जान से मारने की धमकी दी जाती है. ऐसे में चिकित्सक अपनी सेवा देने में असहज महसूस करते हैं. उन्होंने अविलंब मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की. साथ ही बायोमैट्रिक्स सिस्टम से चिकित्सकों को बाहर किया जाए. इसको लेकर बुधवार को आईएमए एवं झासा के संयुक्त आह्वान पर एक दिनी कार्य का बहिष्कार किया गया है.
सिर्फ मिल रहा कोरा आश्वासन
झासा अध्यक्ष सह डीएस डॉक्टर अनुपम किशोर ने कहा कि चिकित्सक अपनी जान जोखिम में रखकर मरीजों की सेवा दे रहे हैं. फिर भी चिकित्सकों को हमेशा धमकी सहित कई तरह का दुर्व्यवहार किया जाता है. जिससे सभी चिकित्सक अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं. सरकार एवं विभाग हमारी मांगों की पूर्ति के लिए कोई पहल नहीं कर रही है. वार्ता होती है, तो सिर्फ आश्वासन दिया जाता है. फिर फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है. जिससे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. अब ऐसा नहीं होगा. मौके पर डॉ एडीएन प्रसाद, डॉ कृष्णा प्रसाद, डॉ हेमंत कुमार, डॉ अनुपम किशोर, डॉ पीएम बाड़ा, डॉ शकुंतला मुर्मू, डॉ राहुल देव उरांव, डॉ मीनू कुमारी, डॉ यमुना कुमारी, डॉ सुनील किस्कु, डॉ गणेश राम, डॉक्टर प्रेमचंद्र भगत, प्रधान लिपिक सुकरा उरांव, रिजवान खान, जिरेन सुरीन, कंचन अंजना बारला, राकेश कुमार, डॉ राशिद आलम, मनोज कुमार, रोहित कुमार, लिली कुजूर, धनेश्वर कुमार, आशा कुमारी, निर्मला कुजूर, राकेश कुमार सिंह, अंजु टोप्पो सहित सभी कर्मी शामिल थे.
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अस्पताल में चिकित्सक व कर्मियों का एक दिनी कार्य बहिष्कार से सदर अस्पताल के ओपीडी में आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. दूर दराज से आये मरीजों व मरीज के परिजनों को एक दिनी कार्य बहिष्कार की जानकारी नहीं होने के कारण सदर अस्पताल गुमला पहुंचे थे. कोटाम गांव की मरीज गुड़िया लकड़ा अपने को महिला चिकित्सक से इलाज कराने पहुंची थी. उन्होंने बताया कि कार्य बहिष्कार की जानकारी नहीं थी. मेरी तबियत अधिक खराब है. जिसके कारण आयी थी. बिना इलाज कराये बैरंग घर लौट रही हूं. अंबवा गांव से आयी सबीदा खातून ने कहा कि मेरे बच्चे को तेज बुखार है और सांस लेने में दिक्कत हो रही है. जिसके इलाज के लिए सदर अस्पताल आयी थी. लेकिन यहां तो हड़ताल के कारण चिकित्सक से दिखा नहीं पा रही हूं. जिसके कारण बैरंग वापस होना पड़ रहा है.
चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हुई है : सीएस
सिविल सर्जन डॉ राजू कच्छप ने कहा कि चिकित्सक संघ के आह्वान पर एक दिनी कार्य बहिष्कार किया गया है. सिर्फ इमरजेंसी सेवा चालू है. चिकित्सकों के साथ आये दिन राज्य के हर जिला व प्रखंड में दुर्व्यवहार सहित जान से मारने की धमकी दी जाती है. इस निमित चिकित्सकों ने सरकार व विभाग से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग किया है. ओपीडी व्यवस्था ठप रही है. जिससे सदर अस्पताल आने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.