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2 माह में डॉक्टरों ने सांप के डंसने के बाद अस्पताल पहुंचे 60 लोगों की बचायी जान, झाड़फूंक के चक्कर में गयी जान

सांप डंसने के बाद जो समय पर अस्पताल पहुंचा, उसकी जान बच गयी. परंतु जो झाड़फूंक के चक्कर में रहे, उसकी जान चली गयी. गुमला जिले का आंकड़ा देंखे तो फरवरी से लेकर अगस्त तक (सात माह) में 93 लोगों को सांप ने डंसा.

सांप डंसने के बाद जो समय पर अस्पताल पहुंचा, उसकी जान बच गयी. परंतु जो झाड़फूंक के चक्कर में रहे, उसकी जान चली गयी. गुमला जिले का आंकड़ा देंखे तो फरवरी से लेकर अगस्त तक (सात माह) में 93 लोगों को सांप ने डंसा. इसमें सिर्फ जुलाई व अगस्त माह में 60 लोगों को सांप ने डंसा था. परंतु गुमला स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता व तत्काल इलाज के बाद इन सभी लोगों की जान बचायी गयी.

वहीं सात माह में सात लोगों की सांप डंसने से मौत हो चुकी है. इन सात लोगों को उनके परिजनों ने झाड़फूंक से ठीक करने का प्रयास किया. परंतु सांप का जहर शरीर में फैलने से मौत हो गयी. यहां बता दें कि गुमला जिला घने जंगल व पहाड़ों के बीच बसा है. यहां के लोग खेतीबारी, वनोत्पाद पर आश्रित हैं. जंगली व पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां सांप अधिक है. यही वजह है खेत में काम करने के दौरान व जंगल में अक्सर सांप मिलते हैं जो लोगों को देखते ही डंसते हैं. खास कर बारिश के मौसम में सांप का कहर ज्यादा रहता है.

सदर अस्पताल सहित सभी सीएचसी में है एंटी स्नैक वेनम :

गुमला जिला सांप जोन है. इस कारण यहां के अस्पतालों में हर समय सांप काटने की सूई एंटी स्नैक वेनम उपलब्ध रहता है. अभी सदर अस्पताल सहित सभी 10 सीएचसी में सांप काटने के बाद जान बचाने वाली सूई है. जिला आरसीएच कार्यालय से एंटी स्नैक वेनम की रिपोर्ट ली गयी, तो पाया कि आरसीएच कार्यालय में वर्तमान में 1180 भाइल एंटी स्नैक वेनम भाइल स्टॉक उपलब्ध है. वहीं सिसई में 20, भरनो में 15, रायडीह में 20, चैनपुर में 15, डुमरी में 20, बसिया में 200, कामडारा में 15, पालकोट में 20, घाघरा में 20 व बिशुनपुर में 20 भाइल दवा उपलब्ध है. वहीं सदर अस्पताल गुमला में 150 भाइल शहरवासियों के लिए उपलब्ध है.

सर्पदंश के बाद झाड़फूंक के फेर में नहीं पड़े, अस्पताल में इलाज करायें : गुमला जिले में कई लोग सर्पदंश का शिकार हो चुके हैं. जिसमें कई लोग अपनी जान तक गवां चुके हैं. ऐसी घटनाएं प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में यदि किसी को सांप काट ले, तो परिजन झाड़फूंक कराने लगते हैं. झाड़फूंक कराने के चक्कर में सांप का जहर पूरे शरीर में फैल जाता है. जिससे मृत्यु हो जाती है. परंतु यदि झाड़फूंक कराने के स्थान पर पीड़ित को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया जाये, तो उसकी जान बच सकती है. वन विभाग ने सर्पदंश के शिकार लोगों से झाड़-फूंक के स्थान पर अस्पताल में जाकर इलाज कराने की अपील की है.

बारिश के मौसम में जुलाई में 31 व अगस्त माह में 29 लोगों को सांप ने डंसा. सदर अस्पताल में एंटी स्नैक वेनम देकर जान बचायी गयी

सात माह में सांप डंसने से सात लोगों की मौत हो चुकी है. इन सात लोगों की मौत झाड़फूंक कराने के कारण चली गयी

पांच प्रकार के जहरीले सांप हैं

वन विभाग गुमला के अनुसार गुमला जिले में पांच प्रजातियों के सांप ऐसे हैं, जो जहरीले होते हैं. जिसमें कॉमन इंडियन करैत, रसल वाईपर, बैंडेड करैत, स्पैक्टेकल कोबरा व बोआ सांप है. कॉमन इंडियन करैत छोटी प्रजाति का सांप है. वहीं रसल वाईपर को ग्रीन पीट के नाम से भी जाना जाता है. जबकि स्पैक्टेकल कोबरा के फन पर चश्मा जैसा दो धारी बना रहता है. इन तीनों प्रकार के सांपों से ज्यादा बचने की जरूरत है. क्योंकि ये तीनों सांप ज्यादा जहरीले होते हैं. इसी प्रकार धामिन (धमना) सांप, रॉक पाईथन (अजगर) कॉमन साइंड बोआ, ढोंढ़ सांप, कॉपर ट्रिकेंड, पाईथन आदि प्रजातियों के सांप जहरीले नहीं होते हैं.

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