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अब दो लोगों में जिंदा रहेगी वंशिका
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40 साल की उम्र में पति-पत्नी को मिला था संतान का सुख, पर नीयती ने दो साल बाद ही छीन लिया
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बेटी का शव गोद में लेकर आइ बैंक पहुंचा दंपती, डॉक्टर से कहा : मेरी बेटी की आखें बचा लीजिये
रांची: गुमला जिले के चंद्रप्रकाश पन्ना और उनकी पत्नी सुरेखा पन्ना ने समाज के सामने अनूठी मिसाल पेश की है. बैंककर्मी मां ने जिगर के टुकड़े की मौत से आहत होने के बावजूद सामाजिक दायित्व का निर्वहन किया. अपनी दो साल की बेटी वंशिका की आंखों को दान किया.
डॉक्टरों द्वारा बच्ची की मौत की पुष्टि करने के बाद दंपती गोद में शव लेकर पुरुलिया रोड स्थित कश्यप मेमोरियल आइ हॉस्पिटल के आइ बैंक पहुंचे और बच्ची के नेत्रदान की इच्छा जतायी. अस्पताल की संचालिका व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ भारती कश्यप पति-पत्नी द्वारा पेश किये मिसाल को देख स्तब्ध थीं.
अस्पताल पहुंचे दंपती ने आग्रह किया कि डॉक्टर मैडम, किसी तरह हमारी बच्ची की आंखों को बचा लीजिये, ताकि नेत्रहीन लोगों की जिंदगी रोशन हो सके. दूसरे की आंखों की रोशनी में हमें वंशिका के होने का एहसास होगा. इसके बाद कश्यप मेमोरियल आई बैंक की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ निधि गडकर कश्यप ने वंशिका की दोनों आखों के कॉर्निया को संग्रहित किया. इन्हें दो दृष्टिहीनों को लगाया जायेगा.
नेत्र प्रत्यारोपण का कार्य डॉ निधि द्वारा ही किया जायेगा.ऐसे टूटा दुखों का पहाड़पिता चंद्रप्रकाश पन्ना ने बताया कि उनकी दो वर्ष की पुत्री वंशिका शर्मा अपने दोस्तों के साथ घर की बालकनी में खेल रही थी. तभी अचानक वह गिर पड़ी. गंभीर रूप से घायल होने पर हम उसे बेहतर इलाज के लिये रानी चिल्ड्रेन अस्पताल लाये.
लेकिन, अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद हमने नेत्रदान का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि 40 वर्ष की उम्र में वंशिका हुई थी. अब वह हमारे बीच नहीं है, लेकिन दूसरे की जिंदगी को रोशन कर हम वंशिका को अमर करना चाहते हैं.
कश्यप मेमोरियल आइ बैंक झारखंड व बिहार का पहला आइ बैंक है, जहां 1995 से नेत्रदान व नेत्र प्रत्यारोपण का कार्य किया जाता है. समाज के ऐसे जागरूक लोगों के कारण ही दृष्टिहीनों की आंखों में रोशनी लौटायी जा सकती है.
डॉ भारती कश्यप, वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ