जेना नदी में पुल नहीं होने से होती है परेशानी, कंधे में लाद कर बाइक पार करते हैं ग्रामीण
गांव की आबादी करीब एक हजार है. यह गांव शिक्षित है. परंतु स्वतंत्र भारत में इस गांव की जिंदगी शहरी जीवन से कटा हुआ है.
पालकोट प्रखंड के देवगांव मौजा में जेना गांव है. गांव की आबादी करीब एक हजार है. यह गांव शिक्षित है. परंतु स्वतंत्र भारत में इस गांव की जिंदगी शहरी जीवन से कटा हुआ है. इसका मुख्य कारण जेना नदी में पुल नहीं होना है.
पुल नहीं रहने के कारण यहां के लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. अगर कोई भी गांव से बाहर निकल रहे हैं या गांव के अंदर घुस रहा है, तो नदी से पार करने के लिए मोटर साइकिल को कंधे पर लाद कर पार करना पड़ता है.
ग्रामीण कहते हैं. हमारी जिंदगी ऐसी है. हर दिन बाइक को कंधे में बोह कर पार करना पड़ता है. यहां बड़ा संकट है. तेज बहाव होने पर नदी पार नहीं करते हैं. कारण नदी में बहने का डर रहता है. स्वास्थ्य सबसे बड़ी समस्या है. बीमार व्यक्ति को खटिया में लादकर नदी से पार करते हैं.
पढ़ाई पर भी असर पड़ता है. नदी में बाढ़ रहने पर छात्र स्कूल नहीं जा पाते हैं. देश की आजादी के 75 साल पूरे हो गये. परंतु जेना गांव की तस्वीर नहीं बदल रही है. गांव के लोगों ने सांसद, विधायक वा प्रशासन से जेना नदी में पुल बनवाने की मांग की है.