Durga Puja 2020 : गुमला (जगरनाथ) : झारखंड में गंगा-जमुनी तहजीब देखनी है, तो गुमला जिले के अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड आइये. आज भी जारी प्रखंड के श्रीनगर में हर साल विजयादशमी के दिन इसकी मिसाल देखने को मिलती है. आपसी सौहार्द और भाईचारगी की देखते ही बनती है. दुर्गा मंदिर के सामने मोहम्मद हनीफ मियां झंडा गाड़कर उसकी इबादत करते हैं. इसके बाद विजयादशमी की शोभायात्रा निकलती है.
श्रीनगर में विजयादशमी के दिन शाम को जुलूस निकलने के ठीक पहले दुर्गा मंदिर के सामने सिकरी गांव निवासी मोहम्मद हनीफ मियां हरे रंग का झंडा गाड़ते हैं. इसके बाद मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार उस झंडे की इबादत की जाती है. उसके बाद हनीफ मियां झंडे को जमीन से उखाड़कर अपने कंधे पर रखते हैं. इसके साथ विजयादशमी की शोभायात्रा निकाली जाती है.
यह परंपरा कोई एक दिन की नहीं है, बल्कि वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है. लगभग 200 वर्ष पहले बरवे स्टेट के नरेश राजा हरिनाथ साय के समय से यह परंपरा शुरू हुई है. परंपरा का निर्वाह आज भी हो रहा है. हनीफ मियां झंडा लिये आगे-आगे और पारंपरिक हथियार, गाजे बाजे के साथ जुलूस में शामिल लोग पीछे-पीछे चलते हैं.
हनीफ मियां बताते हैं कि यह परंपरा मेरे दादा-परदादा के समय से ही चली आ रही है. अगर राजा साहब की ओर से कोई रोक नहीं होती है तो यह परंपरा मेरे बाद में खानदान के लोग निभायेंगे. मुझसे पहले मेरे दादा मोहम्मद जैरकु खान इस परंपरा का निर्वाह करते थे. यह सिलिसला उनके दादा के परदादा के समय से चला आ रहा है.
उस समय बरवे स्टेट के नाम से यह क्षेत्र जाना जाता था, जो सरगुजा के महाराजा चामिंद्र साय को सौंपा गया था. राजा भानुप्रताप नाथ शाहदेव के निधन के बाद वर्तमान में इस परंपरा की देखरेख नये राजा अवधेश प्रताप शाहदेव कर रहे हैं. श्री शाहदेव के अनुसार जब तक हनीफ मियां यहां पर झंडे का फतिहा नहीं करते हैं, तब तक विजयादशमी का जुलूस नहीं निकलता है.
सिकरी निवासी हनीफ मियां को पूजा का प्रसाद बनाने के लिए सारी सामग्री हिंदू भाई देते हैं. फातिहा के बाद प्रसाद का वितरण सभी मिलजुलकर करते हैं. प्रसाद वितरण के बाद ही जुलूस सह शोभायात्रा की शुरुआत होती है और शोभायात्रा रावण दहन स्थल तक पहुंचता है. हालांकि इस वर्ष कोरोना संक्रमण को देखते हुए ही शोभायात्रा निकाली जायेगी.
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Posted By : Guru Swarup Mishra