श्री दुर्गा पूजा में जहां हिंदू धर्मावलंबी, मां दुर्गा की पूजा करते हैं. ठीक इसके विपरीत एक समुदाय आज भी महिषासुर की पूजा करते हैं. हम बात कर रहे हैं, असुर जनजाति की. आज भी असुर जनजाति के लोग अपने प्रिय आराध्य देव महिषासुर की पूजा ठीक उसी प्रकार करते हैं. जिस प्रकार हर धर्म व जाति के लोग अपने आराध्य देव की पूजा करते हैं. झारखंड राज्य के गुमला जिला ही नहीं अन्य जिले जहां असुर जनजाति के लोग निवास करते हैं.
वे आज भी महिषासुर की पूजा करते हैं. श्रीदुर्गा पूजा के बाद दीपावली पर्व में महिषासुर की पूजा करने की परंपरा आज भी जीवित हैं. ऐसे इस जाति में महिषासुर की मूर्ति बनाने की परंपरा नहीं है. लेकिन जंगलों व पहाड़ों में निवास करने वाले असुर जनजाति के लोग श्रीदुर्गा पूजा की समाप्ति के बाद महिषासुर की पूजा में जुट जाते हैं. दीपावली पर्व की रात महिषासुर की मिट्टी का छोटा पिंड बनाकर पूजा करते हैं. इस दौरान असुर जनजाति अपने पूर्वजों को भी याद करते हैं.
गुमला जिले के जंगलों व पहाड़ों में असुर जनजाति के लोग अधिक संख्या में निवास करते हैं. इसलिए यहां बड़े पैमाने पर महिषासुर की पूजा होती है. महिषासुर को अपना पूर्वज मानने वाले असुर जनजाति जंगल व पहाड़ों में निवास करते हैं. मां दुर्गा की पूजा के बाद इस जनजाति के लोग अपनी प्राचीन परंपराओं के आधार पर महिषासुर की पूजा करते हैं.