Durga Puja 2022 : शांति, सद्भावना व सर्वधर्म के बीच गुमला में रावण दहन की 63 वर्ष पुरानी परंपरा रही है. पंजाबी बंधुओं (सिक्ख समुदाय) की पहल पर वर्ष 1959 पर पहली बार रावण दहन की शुरुआत हुई. 30 वर्ष पूर्व 20 फीट ऊंचे रावण का दहन किया जाता था. लेकिन अब 50 फीट से ऊंचे रावण दहन का कार्यक्रम भव्य रूप से आयोजित किया जाता है. इस वर्ष परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम गुमला में 50 फीट ऊंचे रावण का दहन संध्या साढ़े बजे किया जायेगा.
स्वर्गीय भाल सिंह व पंजाबी बंधुओं ने शुरू की परंपरा
प्रबुद्धजन बताते है कि बाजार टांड़ निवासी स्वर्गीय भाल सिंह व पंजाबी बंधुओं के प्रयास से रावण व कुंभकरण के पुतला दहन की नींव रखी गयी थी. उस समय एक लकड़ी के ठेले में रावण का पुतला रखकर शहर का भ्रमण कराया जाता था. प्रत्येक व्यवसायी रावण दहन समिति को 25 पैसे की सहयोग राशि देते थे. 40 से 50 रुपये में धूमधाम से रावण का दहन किया जाता था. इसके बाद वैद्यनाथ साहू, वीरेंद्र झा व अन्य लोगों ने रावण दहन की कमान संभाली. बाजारटांड़ की जमीन का अतिक्रमण हो गया. इसके बाद दो जगहों पर रावण दहन होने लगा. महावीर चौक स्थित पुराना बस पड़ाव (वर्तमान में पटेल चौक) के समीप रावण दहन किया जाने लगा. इसके बाद सर्वसम्मति से कचहरी परिसर में एक ही जगह पर रावण दहन की परंपरा आरंभ हुई.
स्टेडियम में साल 1984 से शुरू रावण दहन
साल 1984 में तत्कालीन डीसी द्वारिका प्रसाद सिन्हा ने स्टेडियम में रावण दहन की अनुमति दी. तब से निरंतर रावण दहन की परंपरा कायम है. लेकिन अब रावण दहन में लाखों रुपये का खर्च आता है. रावण दहन में रंग बिरंगी गगनचुंबी आतिशबाजी के बीच असत्य पर सत्य की अनूठी झलक पेश की जाती है. इस झलक को देखने के लिए गुमला ही नहीं सुदूरवर्ती क्षेत्रों के हजारों की संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ता है. वर्षो तक गुमला के समाजसेवी अनिल कुमार ने स्टेडियम में रावण दहन कराया. इसबार नये लोगों को रावण दहन की जिम्मेवारी मिली है. रावण दहन समिति सह विजय मेला के सचिव उज्जवल केशरी ने बताया कि इस वर्ष 50 फीट ऊंचे रावण का दहन होगा. रावण का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. ओड़िशा राज्य से रावण बनाने के लिए कलाकार को बुलाया गया है.
गुमला में इन स्थानों पर होता है रावण दहन
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गुमला शहर के परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम में 6.30 बजे रावण दहन होगा. 30 हजार भीड़ उमड़ती है. परंपरा के अनुसार नगर भ्रमण के बाद मां दुर्गा पहले स्टेडियम पहुंचती है. इसके बाद रावण दहन होता है. रावण दहन के तुरंत बाद मां की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.
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अरमई डुमरडीह व करौंदी में 6.30 बजे रावण दहन होगा. डुमरडीह में पूर्वी क्षेत्र के लगभग 20 से 25 हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है. मेले जैसा दृश्य होता है.
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करौंदी गांव में रावण दहन में लगभग 10 हजार भीड़ जुटती है. यहां भी परंपरा के अनुसार रावण दहन के तुरंत बाद मां की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.
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मुरकुंडा गांव में हाई स्कूल मैदान में शाम छह बजे रावण दहन होगा. मां की मूर्ति का पहले गांव में भ्रमण कराया जाता है. मां दुर्गा भ्रमण के बाद जैसे ही मैदान के पास पहुंचती है रावण दहन किया जाता है.
रिपोर्ट : जगरनाथ, गुमला