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Jharkhand GDP : वित्त वर्ष 2020-21 में 1.6 फीसदी तक गिर सकता है झारखंड का सकल घरेलू उत्पाद

Jharkhand GDP, Jharkhand News, Economical Impact of Lockdown : रांची/मुंबई : वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान झारखंड का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी ) में 1.6 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से घोषित लॉकडाउन के दौरान जिन राज्यों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, उसमें झारखंड भी शामिल है.

रांची/मुंबई : वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान झारखंड का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी ) में 1.6 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से घोषित लॉकडाउन के दौरान जिन राज्यों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, उसमें झारखंड भी शामिल है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाये गये लॉकडाउन का असर चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद में दिख सकता है. इस दौरान आर्थिक गतिविधियों के थमने की वजह से राज्यों के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 14.3 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि असम, गोवा, गुजरात और सिक्किम जैसे राज्यों में जीएसडीपी की गिरावट दहाई अंक में रह सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2020- 21 में राज्यों के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में गिरावट रहेगी. यह गिरावट 1.4 प्रतिशत से लेकर 14.3 प्रतिशत के दायरे में रह सकती है.’

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इसमें कहा गया है कि झारखंड, कर्नाटक,तमिलनाडु, केरल और ओड़िशा ये पांच राज्य ऐसे हैं, जहां सकल घरेलू उत्पाद पर लॉकडाउन का सबसे गहरा असर दिख सकता है. वहीं मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश पांच प्रमुख राज्य ऐसे होंगे, जहां इसका असर सबसे कम रह सकता है. कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए देश में 25 मार्च, 2020 को लॉकडाउन (बंद) लागू किया गया था.

हालांकि, इस दौरान आवश्यक सेवाओं से जुड़ी गतिविधियों को जारी रखा गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन का असर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग रहा. कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में इसका असर अलग-अलग रहा.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लॉकडाउन का कृषि क्षेत्र के काम पर असर कम रहा है. इसलिए जिन राज्यों के जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान अधिक है, उन पर कृषि क्षेत्र का कम योगदान रखने वाले राज्यों के मुकाबले कम प्रभाव पड़ा है.’ इसी प्रकार सेवा क्षेत्र के तहत आने वाले कुछ क्षेत्रों पर भी लॉकडाउन का असर कम रहा है.

बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी सेवाओं पर यह असर कम रहा है. इन क्षेत्रों ने अपने कामकाज को स्थिति के अनुरूप ढाल दिया था और बड़े पैमाने पर कर्मचारी घर पर रहकर ही परिचालन को संभाले हुए थे.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन राज्यों में इन सेवाओं का हिस्सा अधिक है, उन राज्यों में लॉकडाउन का असर उन राज्यों के मुकाबले कम रहा है, जिन राज्यों की जीडीपी में इन सेवाओं का हिस्सा कम है. इसके मुताबिक, लॉकडाउन की वजह से सभी राज्यों के राजस्व प्रदर्शन पर बुरा असर होगा.

जिन राज्यों के कुल राजस्व में राज्य के अपने कर राजस्व का हिस्सा अधिक होगा, उन पर इसका ज्यादा असर दिखेगा. ऐसे राज्यों के वर्तमान मूल्य पर जीएसडीपी के आंकड़ों और बजट के अनुमानों के बीच अंतर अधिक होगा. इस लिहाज से महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और हरियाणा अधिक संवेदनशील राज्य हो सकते हैं.

इन राज्यों में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान खुद के कर राजस्व का बजट अनुमान उनके अनुमानित राजस्व के 57 से लेकर 64 प्रतिशत के दायरे में है. इन राज्यों के जीएसडीपी के आंकड़े उनके बजट अनुमान से 15 से 24 प्रतिशत तक कम हो सकते हैं.

Posted By : Mithilesh Jha

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