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डोल जतरा में दिखी असुर जनजाति की संस्कृति व परंपरा

पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करने का लिया संकल्प

गुमला.

गुमला से 90 किमी दूर जंगल व पहाड़ों पर बसे पोलपोल पाट गांव में डोल जतरा पर विलुप्त प्राय: असुर जनजातियों की संस्कृति व परंपरा दिखी. विलुप्त हो रही परंपरा को असुर जनजातियों ने जीवंत करने का प्रयास किया. साथ ही पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया. इसके लिए युवा पीढ़ी को बुजुर्गों द्वारा पुरानी परंपराओं की जानकारी समय-समय पर देने का निर्णय लिया गया, जिससे असुर जनजाति की परंपरा युगों-युग तक जीवित रहे. बिशुनपुर प्रखंड के नेतरहाट घाटी के ऊपर बसे पोलपोल पाट जो कि असुर जनजाति गांव है, जहां होली पर्व के बाद तीन दिवसीय डोल जतरा का आयोजन किया गया. इसमें दर्जनभर गांव के असुर जनजाति के लोग भाग लिए. पारंपरिक तरीके से गांव के बुजुर्ग द्वारा पूजा की गयी. लोहा गलाने की बंद हो गयी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए योजना बनाने व युवाओं से आगे आने के लिए कहा गया.

आज भी अपनी परंपरा जीवित रखे हैं असुर जनजाति : शाखा प्रबंधक

मुख्य अतिथि बैंक ऑफ बड़ौदा गुरदरी के शाखा प्रबंधक सालिन गुड़िया असुर जनजाति की परंपराओं से अवगत हुए. साथ ही असुर जनजाति को संगठित होने की अपील की. उन्होंने कहा कि असुर सबसे पुरानी जनजाति है. परंतु इस चकाचौंध भरी दुनिया में आज भी असुर जनजाति अपनी परंपरा को जीवित रख कर चल रहे हैं. उम्मीद है असुर जनजाति अपने मूल धर्म पर रहेंगे और अपनी विरासत को कभी मिटने नहीं देंगे.

असुर जनजाति अपनी परंपरा को मरने नहीं देंगे : विमल

पोलपोल पाट युवा संघ के अध्यक्ष विमलचंद्र असुर ने कहा कि होली पर्व को असुर जनजाति एक अलग अंदाज में मनाते हैं. उन्हीं में डोल जतरा है. यह जतरा एक समय समाप्त हो गया था. युवा पीढ़ी अपनी परंपरा व संस्कृति से दूर हो रहे थे. इन समस्याओं को देखते हुए गांव के बुजुर्गों के मार्ग दर्शन लेकर पोलपोल पाट में डोल जतरा की परंपरा को पुन: शुरू कर अपनी संस्कृति व परंपरा को जीवित रखने का प्रयास किया गया है. यह परंपरा अनवरत जारी रहेगी. उन्होंने वर्तमान पीढ़ी के युवाओं को अपने धर्म व संस्कृति को बचा कर चलने की अपील की है. सेवानिवृत्त शिक्षक हफीजउर रहमान ने कहा कि मैं लगातार असुर जनजाति गांवों का भ्रमण करते रहा हूं. समय के साथ इस जनजाति को मजबूत होना सीखा दिया है.

असुर जनजाति के बच्चों ने दिखायी प्रतिभा: असुर जनजाति के बच्चों ने डोल जतरा में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. साथ ही असुर जनजाति ने अपने पूर्वजों को याद करते हुए प्राचीन पकवान बनाये और डोल जतरा में प्रदर्शनी के रूप में रखा गया है. इससे पूर्व ग्राम प्रधान जोगेश्वर असुर द्वारा प्राचीन परंपरा के आधार पर पूजा-पाठ की गयी. मौके पर चंदरू असुर, सुखराम असुर समेत कई लोगों ने सभा को संबोधित किया.

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