गुमला में नदियों का हुआ अतिक्रमण, जो कभी नदी थी, अब बन गया नाला, देखें Pics
गुमला में कई नदियों का अस्तित्व खत्म होने को है. क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण नदी अब नाले में तब्दील होती जा रही है. वहीं, कुओं का जलस्तर भी घट गया है. इससे खेती-बारी भी प्रभावित हुई है.
Jharkhand News: तेलगांव डैम, पहाड़ और सारू पहाड़ से दो नदी निकली है, जो गुमला शहर के चारों ओर से होकर बहती है. या कहा जाए दो नदियों के बीच गुमला शहर बसा हुआ है. पुग्गू नदी और कुम्हार ढलान नदी एक समय में गुमला शहर की लाइफलाइन हुआ करती थी. खेती-बारी से लेकर घरेलू काम, पशुओं को नहाने धोने से लेकर शहर के लोग इन नदियों में नहाते थे, लेकिन समय बदला. भूमि माफियाओं ने नदियों का अतिक्रमण कर बेचना शुरू कर दिया. नतीजा, जो नदी 20 से 25 फीट चौड़ी हुआ करती थी. आज महज पांच से छह फीट चौड़ी नदी बची है. यह नदी भी अब खत्म हो रही है. लेकिन, प्रशासन इन नदियों को बचाने का प्रयास नहीं रूक रहा है.
अस्तित्व खोती नदियों को देखने वाला कोई नहीं
चेंबर ऑफ कॉमर्स, गुमला के पूर्व अध्यक्ष रमेश कुमार चीनी ने कहा कि अस्तित्व खोती इन नदियों का न कोई देखने वाला है और न ही कोई बात करने वाला है. जिसका नतीजा है कि जिस नदियों में कभी पानी कम नहीं होती थी. बरसात के मौसम में लंबी-चौड़ी नदियां उफान पर रहती थी. जिस नदी के पानी से खेती-बारी भी होती थी. आज उन्हीं नदियों की स्थिति खराब है. कई जगहों पर तो दयनीय स्थिति है.
नदी के साथ बालू खत्म, जलीय जीव हुए नष्ट
गुमला शहर में कई नदियां हैं. नदी में तेलगांव, बेलगांव, घटगांव, सारू पहाड़ सहित आसपास के गांवों का पहाड़ी पानी और डैम का पानी गुमला शहर से होकर बहने वाली छोटी नदियों के माध्यम से होकर बहा करती है. इसके अतिरिक्त बरसाती पानी भी बहती है. उपरोक्त गांवों के पहाड़ों का पानी गुमला शहर में दुर्गा नगर से प्रवेश करती है. दुर्गा नगर गुमला शहरी के वार्ड नंबर 17 के अंतर्गत है. जो मां काली मंदिर के पीछे से होते हुए श्माशान घाट से लक्ष्मण नगर, विंध्याचल नगर, सरनाटोली, होते हुए पालकोट रोड स्थित श्माशान घाट से पुग्गू पुल के नीचे से होते शांति नगर, नदीटोली से सिसई रोड पुग्गू पुल के नीचे होते हुए कई गांवों से गुजरती है.
अस्तित्व खोती कई नदियां
इन गांवों के पहड़ों, डैम एवं बारिश का पानी गुमला शहर के बस स्टैंड के पीछे से होते हुए अमृत नगर, चेटर, लोहरदगा रोड कुम्हार ढलान से होते हुए आजाद बस्ती के पीछे से होकर बहने वाली नदी से भी बहती है. पूर्व में उक्त नदियां काफी चौड़ी हुआ करती थी. उसमें बहने वाली पानी साफ दिखती थी. यहां तक की पानी के अंदर पानी के बहने वाली बालू, मछली सहित कई प्रकार के जलीय जीव आसानी से दिख जाया करती थी. लेकिन, वर्तमान में नदी का कई जगहों पर अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है. प्राय: जगहों पर नदी अब नदी न होकर एक नाला की तरह हो गया है.
पानी के अभाव में खेती-बारी प्रभावित
जो पहले नदी हुआ करती थी. अब वह नाला हो गया है. नाला में पानी का अभाव भी है. जिसका प्रभाव खेती-बारी पर पड़ा है. नदी की पानी जिस क्षेत्र से होकर बहती है. उस क्षेत्र में खेती लायक काफी भूमि है. लेकिन, नदी में पानी के अभाव में उक्त खेतों में खेती-बारी सिर्फ बरसाती पानी पर निर्भर करता है. पहले किसान नदी के भरोसे खरीफ एवं रबी के विभिन्न फसलों के साथ विभिन्न प्रकार के हरी साग-सब्जियों की भी खेती करते थे. लेकिन, नदी अब नाला बन जाने एवं उसमें पानी नहीं होने के कारण किसान सिर्फ बरसाती पानी के भरोसे धान की खेती करते हैं. इसके अलावा बहुत कम जगहों पर ही सब्जी की खेती करते हैं.
नदी में पानी के अभाव से कुओं का भी जलस्तर घटा
नदी में पानी की कमी के कारण आसपास के कुओं का जलस्तर भी कम हो गया है. पूर्व में नदी में पानी की कमी नहीं थी तो आसपास के कुओं में भी पानी भरा रहता था. परंतु नदी में पानी की कमी होने का असर कुओं पर भी पड़ा है. कुआं में भी पानी कम हो गया है. बरसात के मौसम में तो कुआं में पानी भरी रहती थी. परंतु वर्तमान में कुआं में 15 से 25 फीट तक पानी नीचे है.
Also Read: मांडर विधानसभा में हर प्रत्याशी जीत का कर रहे दावा, चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच हो रही वोटिंगनदी के संरक्षण के लिए ठोस काम करने की जरूरत
जल्द ही नदी के संरक्षण की दिशा में ठोस काम करने की जरूरत है. यदि जल्द ही ठोस काम नहीं हुआ तो नदी का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा. पालकोट रोड में पुग्गू नदी के पुल के समीप और लोहरदगा रोड कुम्हार ढलान के नदी के पुल के समीप काफी मात्रा में मिट्टी डंप किया गया है. वहां कचरा भी फेका जा रहा है. जो नदी को भठने का काम कर रहा है. वहीं कई जगहों पर नदी में पानी की जगह कीचड़ और कचरा दिख रहा है. प्राय: जगहों पर नदी में घास-फूंस और झाड़ियां हैं. जशपुर रोड मां काली मंदिर के नीचे वाली पुल के दोनों ओर नदी में पानी की जगह कूड़ा-कचरा तैर रहा है. सरनाटोली की नदी में बजबजाता कीचड़ है. शाम होते ही वहां दुर्गंध फैलती है. जिससे आसपास के लोगों को भारी परेशानी होती है.
Prabhat Khabar App: देश-दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, क्रिकेट की ताजा खबरें पढे़ं यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए प्रभात खबर ऐप.
FOLLOW US ON SOCIAL MEDIA
Facebook
Twitter
Instagram
YOUTUBE
रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.