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संत जॉन मेरी वियानी का पर्व दिवस, पुरोहित संरक्षक संत को करेंगे याद

पुरोहितों के संरक्षक संत जॉन मेरी वियानी का आज पर्व दिवस है. उनके संघर्ष और सफलता की बेमिशाल कहानी है. संत जोन मेरी वियानी पर्व को लेकर आज झारखंड राज्य के सभी चर्चो में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. पुरोहित अपने संरक्षक संत को याद करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2022 2:57 PM

गुमला: पुरोहितों के संरक्षक संत जॉन मेरी वियानी का आज (चार अगस्त) पर्व दिवस है. उनके संघर्ष और सफलता की बेमिशाल कहानी है. 24 में से 18 घंटे सिर्फ वे काम करते थे. जैसे मधुमिक्खयां मधु जमा करने के लिए हर एक फूल पर मंडराती है और मधु लाकर छत्ते में भर देती है. उसी प्रकार का व्यक्तित्व हम जोन मेरी वियानी में देखते हैं. कौन जानता था कि फ्रांस में आठ मई 1786 ईस्वी को एक साधारण परिवार में जन्मा बालक संत बनने वाला है. लेकिन यह हकीकत है. बुराई में जकड़े आर्स गांव (आर्स पल्ली) को बदलने का श्रेय जोन मेरी वियानी को जाता है. बुराई से लड़े. कभी किसी से नहीं डरे. इसलिए आगे चल कर जोन मेरी वियानी संत बनें. वह अपनी माता की प्रार्थनामय जीवन से प्रभावित होकर बड़ा हुए.

बुराई से जकड़ा हुआ था आर्स गांव, जहां बदलाव लाये

संत जॉन मेरी वियानी की आत्मा इस प्रकार प्रभु में लीन हो गयी कि उन्होंने अपने जीवन को आर्स के एक छोटे से गांव में रहकर प्रभु के लिए समिर्पत कर दिया. जिस प्रकार आर्स में बुराई चरम पर था. उन्होंने वहां सुधार लाये. उन्होंने देखा कि गांव में युवक-युवितयों, विवाहित जोड़ों और बच्चों के लिए धार्मिक शिक्षा व संस्कार ग्रहण करने का कोई अवसर नहीं था. इसपर उन्हें बहुत दुख हुआ. संत जॉन मेरी वियानी ने देखा कि आर्स गांव में लोग संसारिक भोग विलास का जीवन बिता रहे थे. लेकिन धार्मिक लोगों की मदद से उन्होंने पूरे आर्स के वातावरण को बदल दिये. पापमय जीवन बिताने वालों की आलोचना उन्होंने कड़े शब्दों में की. घर-घर में जाकर युवकों को शिक्षित किया. कई बार संत जॉन मेरी वियानी को गांव छोड़ने के लिए विवश किया गया. लेकिन संत तेरेसा के कथनों ने उनके कठिन व कड़वे अनुभवों को मीठे अनुभवों में बदल दिया.

कभी डरे नहीं, पीछे हटे नहीं

संत जॉन मेरी वियानी की पहल रंग लायी. ईश्वर में पूर्ण विश्वास व आस्था के फलस्वरूप दूसरे लोगों के प्रति प्रेम की भावना जागी और आर्स गांव शांति व प्रेम का स्थान बन गया. ईसा का कहना है कि भला गड़ेरिया मैं हूं, मैं अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देता हूं और यही संत जोन मेरी वियानी के ह्रदय में रम गयी थी. अत: उन्होंने भले गड़ेरिया के समान आर्स गांव के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये. कभी डरे नहीं. पीछे हटे नहीं. हर दुख सहकर भी आगे बढ़ते रहे. इस प्रकार वे इसाई समुदाय के मार्गदर्शन बनें. उसी प्रकार जोन मेरी वियानी आर्स गांव के लोगों के लिए मार्गदर्शक बनें.

झारखंड के सभी चर्चो में आज होगा कार्यक्रम

संत जोन मेरी वियानी पर्व को लेकर आज झारखंड राज्य के सभी चर्चो में कार्यक्रम होगा. पुरोहित अपने संरक्षक संत को याद करेंगे. उनके पदचिन्हों पर चलने का वचन दुहरायेंगे. गुमला धर्मप्रांत के 39 चर्चो में संत जोन मेरी वियानी पर्व की पूरी तैयारी हो गयी है.

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