जरबेरा फूल की खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत बन रहे हैं किसान

गुमला जिला के किसान खरीफ व रबी फसलों के अलावा जरबेरा फूल की भी खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. जरबेरा फूल की खेती में किसानों का सहयोग जिला उद्यान्न विभाग कर रहा है. विभाग की ओर से संरक्षित फूल खेती योजना अंतर्गत किसानों को पूंजी के साथ संसाधन भी मुहैया कराया जा रहा है, जिसका किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 23, 2020 5:24 AM
  • ढाई से तीन साल तक रहता है पौधा, प्रत्येक दो से ढाई माह में लगता है फूल.

  • प्रत्येक छह माह में किसानों को हो रही डेढ़ से दो लाख रुपये तक आमदनी.

गुमला : गुमला जिला के किसान खरीफ व रबी फसलों के अलावा जरबेरा फूल की भी खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. जरबेरा फूल की खेती में किसानों का सहयोग जिला उद्यान्न विभाग कर रहा है. विभाग की ओर से संरक्षित फूल खेती योजना अंतर्गत किसानों को पूंजी के साथ संसाधन भी मुहैया कराया जा रहा है, जिसका किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है.

जरबेरा फूल से किसानों को प्रत्येक छह माह में डेढ़ से दो लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है, जिससे किसान न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं, बल्कि किसान अब बृहत पैमाने पर जरबेरा फूल की खेती करने की तैयारी में भी हैं.

पूर्व में जिले भर में महज दो-तीन किसान ही जरबेरा फूल की खेती करते थे, परंतु फूल से होने वाली आमदनी को देखते हुए अन्य किसानों में भी इसकी खेती के प्रति रूचि बढ़ी है. यही कारण है कि प्रत्येक साल जरबेरा फूल की खेती करने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ रही है. इस साल के जनवरी-फरवरी माह में जिले भर के 25 किसानों ने 25 हजार वर्गमीटर भूमि पर जरबेरा फूल की खेती की है. एक हजार वर्गमीटर भूमि पर 3500 पौधा लगता है, जिसमें लगभग 6.60 लाख रुपये खर्च होता है. जरबेरा फूल के पौधे की यदि सही से देखरेख की जाये, तो ढाई से तीन साल तक पौधा रहता है, जिसमें प्रत्येक दो से ढाई माह के अंदर में फूल आता है. खुले बाजार में इस फूल की काफी मांग है. इस फूल का कार्यक्रम स्थलों के डेकोरेशन और पुष्पगुच्छ बनाने में अधिक उपयोग होता है.

दूसरे जिलों में भी निर्यात होता है जरबेरा

जिले के किसान अपने खेतों में उत्पादित जरबेरा फूल को दूसरे जिलों में भी निर्यात कर रहे हैं. गुमला के जरबेरा फूल की मांग गुमला सहित रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग सहित कई जिलों में है. ऐसे गत वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष किसान दूसरे जिले में फूल का निर्यात नहीं कर सके हैं. कोरोना वायरस महामारी से बचाव को लेकर सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन के कारण किसानों को नुकसान सहना पड़ा. खेत में तैयार फूल लॉकडाउन के कारण बेकार हो गये.

क्या कहते हैं तकनीकी विशेषज्ञ

उद्यान्न विभाग के तकनीकी विशेषज्ञ दीपक कुमार ने बताया कि जरबेरा फूल की खेती किसानों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. पूर्व में इसकी खेती करने वाले किसानों की संख्या कम थी, परंतु अब संख्या बढ़ रही है. आने वाले समय में जिले में बृहत पैमान पर जरबेरा फूल की खेती कराने की योजना है.

जरबेरा की खेती से लाभान्वित हो रहे हैं : किसान

जरबेरा फूल की खेती करने वाले किसान पाबेरूस बखला, संध्या बखला, हिलारिया टेटे आदि ने बताया कि वे लोग जरबेरा फूल की खेती से लाभान्वित हो रहे हैं. उद्यान्न विभाग ने फूल की खेती करने के लिए पूंजी व संसाधन दिया, इस कारण आज हमारे खेत से फूल की खुशबू दूर-दूर तक फैल रही है. किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण तैयार फूल का निर्यात नहीं कर पाये. जिस कारण नुकसान हो गया. परंतु अब इधर, फिर से फूल तैयार होने लगा है. इससे होने वाली आमदनी से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

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