कोरोना का डर : मजदूर बेटे के हाथ से मां ने नहीं लिए पैसे, घर में घुसने भी नहीं दिया

गुमला में कोरोना संक्रमण का डर ऐसा है कि मजदूर बेटे के हाथ से मां ने पैसे नहीं लिए. अपने ही घर में घुसने नहीं दिया. जब बेटा अस्पताल गया. जांच कराया. हाथ में होम क्वारेंटाइन (एचक्यू) का मुहर लगवाया. तब उसे घर घुसने दिया गया. घर में घुसने से पहने साबुन से अच्छी तरह नहलाया गया. साथ ही मां ने अपने बेटे के लिए एक कमरा अलग कर दिया. यह मामला गुमला शहर से सटे एक गांव की है.

By AmleshNandan Sinha | March 30, 2020 10:32 PM

दुर्जय पासवान

गुमला : गुमला में कोरोना संक्रमण का डर ऐसा है कि मजदूर बेटे के हाथ से मां ने पैसे नहीं लिए. अपने ही घर में घुसने नहीं दिया. जब बेटा अस्पताल गया. जांच कराया. हाथ में होम क्वारेंटाइन (एचक्यू) का मुहर लगवाया. तब उसे घर घुसने दिया गया. घर में घुसने से पहने साबुन से अच्छी तरह नहलाया गया. साथ ही मां ने अपने बेटे के लिए एक कमरा अलग कर दिया. यह मामला गुमला शहर से सटे एक गांव की है.

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए उक्त परिवार ने पूरा एहतियात बरता है. जानकारी के अनुसार एक गांव का युवक दूसरे राज्य कमाने गया था. जहां वह मजदूरी कर पैसा कमाया. लॉकडाउन के बाद वह अपने घर पहुंचा. परंतु गांव लौटने के बाद उसकी मां ने उसे घर में घुसने नहीं दिया. यहांतक कि बेटे ने मजदूरी से जो पैसा कमाया था. उसे भी उसकी मां ने लेने से इंकार कर दिया. मां ने कहा कि क्या पता इस पैसे में ही कोरोना हो.

बेटा बार-बार गिड़गिड़ाता रहा, परंतु उसे घर में घुसने नहीं दिया गया. अंत में वह गुमला अस्पताल आया. अपनी जांच करायी. हाथ में एचक्यू का मुहर लगाकर घर गया. तब उसे घर में घुसने दिया गया. पैसा भी लेने से पहले पानी से धोया गया.

प्रशासन की पहल पर गांव में घुसने दिया

ऐसा ही एक मामला सिसई प्रखंड के मुरगू कामता गांव की है. गांव के छह मजदूर बोधगया से मजदूरी कर रविवार को अपने गांव पहुंचे थे. जिन्हें ग्रामीणों ने गांव में घुसने से रोक दिया. सभी रविवार से ही मुरगू गांव के सामुदायिक भवन में शरण लिए हुए थे. इसकी सूचना बीडीओ प्रवीण कुमार, सीओ सुमन तिर्की, थाना प्रभारी विष्णु देव चौधरी को हुई तो उन्होंने गांव पहुंचकर सुरेंद्र उरांव, रंथू उरांव, नंदकिशोर उरांव, अनिल उरांव, राजेश उरांव, लातूर उरांव को सिसई रेफरल अस्पताल लाकर जांच करवायी. साथ ही सभी को 14 दिनों तक अलग-अलग रहने का निर्देश देते हुए गांव पहुंचाया गया. प्रशासन ने ग्रामीणों से युवकों को गांव में रहने देने की अनुरोध किया. इसके बाद गांव में घुसने दिया गया.

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