Jharkhand news: गुमला जिला अंतर्गत सिसई प्रखंड के पिलखी गांव निवासी बंधन उरांव पिछले 16 वर्षों से जंगल बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं. इनकी लगन व मेहनत का परिणाम है कि 160 हेक्टेयर भूखंड से उजड़ चुकी जंगल फिर से हरा-भरा होने लगा है.
बंधन ने बताया कि जंगल को बचपन से घना और हरा-भरा देखते आया था. वह धीरे-धीरे उजड़ते जा रहा था. फौज (असम राइफल) से 2006 में रिटायर होकर गांव आने तक जंगल पूरी तरह से उजड़ चुका था. ग्रामीण जंगल से जलावन के लिए पौधों को अंधाधुंध कटाई करते और जानवरों को चरने के लिए जंगल में खुला छोड़ देते थे.
उन्होंने कहा कि मेरा कोई संतान नहीं है. मैंने पेड़-पौधों को ही संतान के रूप में अपनाकर फिर से जंगल को हरा-भरा करने का संकल्प लिया. जंगल बचाने को लेकर गांव में बैठक की. शुरुआती दिनों में किसी का सहयोग नहीं मिला. वर्ष 2006 से रोज सुबह अकेले ही खाना, पानी व एक टांगी पकड़कर जंगल बचाने के लिए जंगल की ओर निकल जाते हैं.
जंगल से लकड़ी काटने व जंगल में घुसने वाले पशुओं को खदेड़ते रहते हैं. अकेले करीब 160 हेक्टेयर भूखंड की जंगल की रखवाली करना बहुत मुश्किल काम था. लेकिन, हिम्मत नहीं हारा. रोज एक-दो पौधा लगाता था. एक वर्ष बीतते-बीतते ग्रामीण भी सहयोग करने लगे. धीरे-धीरे लकड़ी कटना व पशुओं को जंगल में घुसना बंद हो गया. गांव में साप्ताहिक बैठक होने लगी.
श्री उरांव ने कहा कि मुझे पिलखी जंगल का वनपाल नियुक्त किया गया. जंगल की देखभाल करने के एवज में 170 परिवार के लोग प्रतिवर्ष छह किलो धान देते हैं. वर्तमान में पिलखी गांव के बगल में करीब 160 हेक्टेयर की भूखंड में जंगल लहलहा रहा है. बंधन जंगल क्षेत्र के करीब 15 एकड़ खाली जगह में सरकार से पौधा रोपण व घेराबंदी कराने की मांग किया है.
Posted By: Samir ranjan.