जंगलों में उगने वाले बांस को उपयोगी बनाने के लिए वन विभाग कर रहा कार्य, 25 हजार एकड़ में बांस बखाड़ होगा विकसित
जंगलों में उगने वाले बांस को उपयोगी बनाने के लिए वन विभाग कर रहा कार्य
गुमला : गुमला जिला के जंगलों में उगने वाले बांस को उपयोगी बनाने के लिए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग गुमला ने योजना बनायी है. योजना के तहत लगभग 25 हजार एकड़ भू-भाग में उगने वाले लगभग 20 हजार बांस बखाड़ की साफ-सफाई करायी जायेगी. बतातें चले कि गुमला जिला के जंगलों में हजारों किस्म के पौधे उगते हैं, जिसमें बांस भी शामिल है. बांस से कई प्रकार की उपयोगी सामग्रियों का निर्माण होता है.
परंतु प्राय: देखा जाता है कि जंगल में उगने वाले बांस में गुणवत्ता की कमी होती है. बांस बखाड़ का समुचित रूप से विकास एवं साफ-सफाई नहीं होने के कारण टेढ़े-मेढ़े बांस उगते हैं, जिसकी उपयोगिता नहीं के बराबर होती है और बांस बखाड़ में ही बेकार हो जाता है. इस समस्या के समाधान के लिए वन विभाग ने वन संवर्द्धन योजना के तहत बांस बखाड़ों के समुचित विकास एवं साफ-सफाई कराने के लिए योजना बनायी है. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, बांस को उपयोगी बनाने के लिए वन विभाग द्वारा पूर्व में भी योजना के तहत काम किया गया है.
वित्तीय वर्ष 2018-19 में वन विभाग लगभग 28750 एकड़ में लगे बांस बखाड़ की साफ-सफाई करा कर विकसित करने का काम कर चुका है. उस समय योजना पर काम करने के बाद परिणाम बेहतर रहा. बखाड़ में टेढ़ा-मेढ़ा बांस उगने की जगह सीधा बांस उगने लगा. अब उसी योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में कार्य किया जा रहा है. इसके तहत बांस बखाड़ की साफ-सफाई करायी जायेगी और बांस के समुचित विकास के लिए बखाड़ को फैलाया जायेगा. इससे बखाड़ में बांस की नयी-नयी कली निकलेगी और जगह मिलने के कारण बांस भी टेढ़ा-मेढ़ा की जगह सीधी निकलेगा.
क्या कहते हैं अधिकारी
डीएफओ श्रीकांत ने बताया कि जंगली क्षेत्र में उगने वाले बांस को उपयोगी बनाने के लिए योजना बना कर कार्य किया जा रहा है. पूर्व में योजना पर काम किया गया है, जिसका परिणाम बेहतर रहा. बखाड़ में सीधा बांस उग रहा है, जिससे स्थानीय ग्रामीण लाभान्वित हो रहे हैं. बांस से विभिन्न प्रकार की उपयोगी सामग्रियों का निर्माण कर बिक्री कर रहे हैं, जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. योजना के तहत 31 मार्च 2021 तक कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा.
Posted By : Sameer Oraon