गुमला में 15 सौ एकड़ वनभूमि पर होगा पौधरोपण,15 गांव से सटा भूखंड बनेगा जंगल

गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर, सिसई, घाघरा, गुमला, बसिया एवं चैनपुर प्रखंड के 1500 एकड़ अधिसूचित वनभूमि पर पौधरोपण होगा. ये 1500 एकड़ भूखंड 15 गांव से सटा हुआ है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 14, 2022 1:24 PM

जगरनाथ

गुमला : गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर, सिसई, घाघरा, गुमला, बसिया एवं चैनपुर प्रखंड के 1500 एकड़ अधिसूचित वनभूमि पर पौधरोपण होगा. ये 1500 एकड़ भूखंड 15 गांव से सटा हुआ है. जिसे वन विभाग ने जंगल का रूप देने की तैयारी कर ली है. पौधारोपण को लेकर गड्ढों की खुदाई का काम शुरू हो गयी है.

पौधरोपण का यह कार्य वन, प्रमंडल एवं जलवायु परिवर्तन विभाग गुमला द्वारा भू संरक्षण योजना, वनों का संवर्द्धन एवं प्राकृतिक पुनर्जन्म योजना अंतर्गत कराया जा रहा है. 1500 एकड़ अधिसूचित वनभूमि में से भू संरक्षण योजना अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड के बियार जंगल में 112.50 एकड़, सिसई प्रखंड के मादा, दारी,

बोंडो व चेंगरी जंगल में 287.50 एकड़ एवं वनों का संवर्द्धन, प्राकृतिक पुनर्जन्म व भू संरक्षण योजना अंतर्गत सिसई प्रखंड के कोड़ेदाग व बरगांव में 150 एकड़, घाघरा के अरंगी जंगल में 100 एकड़, गुमला प्रखंड के कलिगा जंगल में 125 एकड़, जोराग वृंदा जंगल में 125 एकड़, बसिया प्रखंड के गुड़ांग, गंगरा व सुकुरूडा जंगल में 250 एकड़, चैनपुर प्रखंड के चैनपुर जंगल में 125 एकड़ एवं डोकापाट जंगल में 125 एकड़ अधिसूचित वनभूमि पर पौधारोपण होगा.

4,26,600 पौधे लगाये जायेंगे

1500 एकड़ अधिसूचित वनभूमि पर 4,26,600 पौधों का पौधरोपण होगा. जिसमें भू संरक्षण योजना अंतर्गत बिशुनपुर के बियार जंगल में 45 हजार, सिसई के मादा, दारी, बोंडो व चेंगरी जंगल में 1.55 लाख एवं वनों का संवर्द्धन, प्राकृतिक पुनर्जन्म व भू संरक्षण योजना अंतर्गत अंतर्गत सिसई के कोड़ेदाग जंगल में 60 हजार एवं चैनपुर व डोकापाट जंगल में लगभग 1,66,600 पौधों का पौधरोपण होगा.

  • भू संरक्षण योजना, वनों का संवर्द्धन एवं प्राकृतिक पुनर्जन्म योजना के अंतर्गत पौधरोपण होगा.

  • गुमला जिले के 15 गांव से सटे भूखंड को घना जंगल बनाया जा रहा है वनोत्पाद का मिलेगा लाभ

जंगलों में पौधरोपण से होंगे ये लाभ

पौधरोपण से न केवल जंगल घना होगा, बल्कि जंगल का हरित आवरण बढ़ेगा और अधिसूचित वनभूमि का अतिक्रमण भी नहीं होगा. वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जंगल के जिस हिस्से में वृक्षों की संख्या कम है. वहां ज्यादा फोकस कर पौधरोपण कराया जा रहा है. ताकि जंगल घना हो. जहां जितने अधिक वृक्ष होते हैं. वहां का हरित आवरण उतना अधिक बढ़ता है. वहीं कई जगहों पर तो खाली जमीन देख कर स्थानीय ग्रामीण उस पर अतिक्रमण कर लेते हैं. कोई मकान बनाकर रहने लगता है, तो कोई खेतीबारी करने लगता है. परंतु पौधरोपण के बाद अतिक्रमण की समस्या नहीं होगी.

Posted by : Sameer Oraon

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