Fraud Case: गुमला में 20 सालों से बंद स्कूल के नाम पर फर्जीवाड़ा, 8.50 लाख की गई निकासी
Fraud Case: गुमला जिले के घाघरा प्रखंड स्थित अल्पसंख्यक उर्दू प्राथमिक विद्यालय में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. दरअसल, 20 वर्षों से बंद स्कूल के नाम पर फर्जी तरीके से आठ लाख 50 हजार रुपये का भुगतान कर दिया गया है.
Gumla News: 20 वर्षों से बंद स्कूल के नाम पर फर्जी तरीके से आठ लाख 50 हजार रुपये का भुगतान कर दिया गया. मामला गुमला जिले के घाघरा प्रखंड स्थित अल्पसंख्यक उर्दू प्राथमिक विद्यालय, गोया का है. इसका खुलासा तब हुआ, जब ग्रामीणों ने इसकी लिखित शिकायत उपायुक्त व शिक्षा आयुक्त से की. जांच में पाया गया कि स्कूल में बच्चों की संख्या व चार शिक्षकों की डयूटी दिखाकर राशि निकाली गयी है.
ग्रामीणों का क्या है आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि शिक्षा विभाग व फर्जी शिक्षकों ने मिलकर राशि निकाली और आपस में बांट लिये. हालांकि, ग्रामीणों की शिकायत व मामले को गंभीरता को देखते हुए जिले के वरीय अधिकारी ने जांच का आदेश दिया है. घाघरा प्रखंड की प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को जांच का जिम्मा मिला है. परंतु, एक महीना होने जा रहा है. अबतक जांच नहीं हुई है.
Also Read: Interstate Bus Stand: रांची, जमशेदपुर और धनबाद में जल्द बनेगा अंतरराज्यीय बस अड्डा, इतने रुपये होंगे खर्च
एक भी बच्चे स्कूल में नहीं पढ़ते
गांव के 52 लोगों ने हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपा है. इसमें स्कूल बंद रहने व फर्जी तरीके से सरकारी राशि निकालने की जानकारी दी है. गांव के सगीर खान ने कहा है कि स्कूल बंद है. परंतु, फर्जी स्कूल समिति बनाकर राशि की निकासी कर ली गयी है. गोया गांव व दूसरे गांव के जितने भी बच्चे हैं. वे अलग-अलग स्कूलों में पढ़ते हैं. स्कूल के एक शिक्षक हकीम खान ने वेतन नहीं मिलने पर हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद एक वर्ष पहले शिक्षा विभाग की एक टीम गांव आयी थी. टीम ने स्कूल को 20 वर्षों से बंद पाया. इसके बाद भी आठ लाख 50 हजार रुपये का भुगतान कर दिया. अभी और सरकारी राशि की निकासी की योजना है, ताकि शिक्षा विभाग व यहां की फर्जी समिति के लोग आपस में बांट सके. ग्रामीणों ने जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने व स्कूल का संचालन दोबारा कराने की मांग की है.
जांच करने का आदेश
घाघरा के बीइइओ प्रीति कुमारी ने कहा कि जिला से जांच करने का आदेश मुझे मिला है. परंतु बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड का अतिरिक्त प्रभार होने के कारण मैं अभी तक जांच नहीं कर पायी हूं. जांच करने के बाद ही इस पूरे मामले में कुछ कहा जा सकता है.