चार बच्चों की भूख मिटाने व लालन पालन के लिए दिव्यांग मां अगस्ता तिर्की (35) भीख मांग कर बच्चों की परवरिश कर रही है. अगस्ता का घर रायडीह प्रखंड के नवागढ़ बाजार टाड़ है. वह हर दिन 15 किमी की दूरी तय कर भीख मांगने गुमला आती है. साथ में उसके बच्चे भी रहते हैं, जो दिव्यांग मां को चलने में सहारा देते हैं. अगस्ता गरीबी में जी रही है. सरकारी सुविधा नहीं मिलती है. न विकलांग प्रमाण-पत्र बना है और न ही परिवार के नाम से राशन कार्ड बना है. पति संजू लोहरा की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. गरीबी के कारण बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है.
अगस्ता तिर्की ने कहा कि उसकी तीन बेटी व एक बेटा है. छोटी बेटी ज्योति (4 वर्ष) को अपने साथ गुमला लाती है. जहां दिव्यांग मां अपनी बेटी के साथ लाठी के सहारे शहर की गली-गली घूम कर भीख मांगती है. अगस्ता तिर्की ने बताया कि उसका दाहिना पैर 2017 में टूट गया है. उसके पति संजू लोहरा की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. जिस कारण उसने मारपीट कर उसका पैर तोड़ दिया. उसका पति कुछ काम नहीं करता है.
सरकारी अस्पताल में अपने पैर का इलाज कराया पर ठीक नहीं हुआ. इसके बाद पैसे के अभाव में इलाज नहीं करा पा रही है. उसने बताया कि उसके चार बच्चे हैं. जिसमें तीन लड़की व एक लड़का है. उसे सरकारी सुविधा के नाम पर पीएम आवास मिला है. परंतु अभी तक राशन कार्ड नहीं बना है. अगस्ता ने बताया कि उसका पैर टूटने के बाद वह कई बाद पेंशन के लिये सरकारी कार्यालय का चक्कर लगायी. जहां उसे विकलांग सर्टिफिकेट बनवाने का बात कही गयी. वह विकलांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिये परेशान रही. परंतु विकलांग सर्टिफिकेट नहीं बन पाया.
जिस कारण उसे विकलांग पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा उसके घर में अभी तक शौचालय नहीं बनवाया गया है. अगस्ता ने बताया कि आर्थिक तंगी व चार बच्चों का गुजारा करने के लिए वह विवश होकर भीख मांगने के लिये गुमला आती है. भीख से मिले पैसे से वह किसी प्रकार अपने बच्चों का गुजारा कर रही है. गुमला आने-जाने के दौरान उसे 50 रुपये भाड़ा लग जाता है. अगस्ता ने अपना नंबर 8434024610 देते हुए प्रशासन व लोगों से मदद की गुहार लगायी है.