दुर्जय पासवान, गुमला :
गुमला जिले में सैकड़ों क्विंटल अनाज का घोटाला हुआ है. यह मामला तीन माह पहले उजागर हुआ था. इसके बाद खानापूर्ति के लिए सिर्फ गुमला प्रखंड में इसकी जांच हुई. जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी व गोदाम से कुछ लोगों को हटाया गया. इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. डुमरी, घाघरा, कामडारा, बसिया, रायडीह में हुए अनाज घोटाले की जांच नहीं हुई और न ही एसजीएम के कार्यों की समीक्षा की गयी. इसका नतीजा है कि अनाज घोटाला करने वाले अभी भी बाज नहीं आ रहे हैं. अभी भी गरीबों के अनाजों पर डाका डाला जा रहा है. अनाज के घोटालेबाजों ने कोरोना काल का भी अनाज बेच कर खा गये थे.
गरीबों तक अनाज पहुंचा ही नहीं और घोटालेबाज गरीबों का हक मार लिए. इसके बाद भी लगातार अनाज का घोटाला होता रहा. गुमला प्रशासन से गरीब लाभुक शिकायत शिकायत भी किये थे. परंतु, दोषी लोगों को बचाने के चक्कर में कुछ डीलरों को बलि का बकरा बना दिया गया. बता दें कि अगर डीलर कम अनाज देते हैं, तो इसके पीछे सरकारी कार्यालयों में बैठे कुछ सरकारी मुलाजिम है.
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क्योंकि सरकारी मुलाजिमों को डीलरों से भी कमीशन चाहिए. अधिकारियों को कमीशन देने के लिए डीलर गरीबों को कम अनाज देते हैं. या तो फिर महीने भर का भी अनाज डकार जाते हैं. डुमरी प्रखंड की बात करें, तो यहां वर्ष 2022 में कई महीनों को अनाज लाभुकों को मिला ही नहीं. इसकी जानकारी आपूर्ति विभाग को है, परंतु कभी जांच नहीं करायी गयी. इस क्षेत्र में कुछ डीलर माफिया की भूमिका निभाते हैं, जो सीधे अधिकारियों से मिल कर अनाज को बेच कर पैसा आपस में बांट लेते हैं.
गुमला विधायक भूषण तिर्की ने कहा है कि गुमला प्रशासन गरीबों को मिलने वाले अनाज की जांच करायें. साथ ही किस-किस महीना का अनाज अब तक नहीं मिला है, उसकी भी जांच करायें. गरीब लाभुकों के लिए सरकार अनाज देती है, ताकि कोई भूखा न रहें. अगर गरीबों के अनाज को कोई बेच दे रहा है, तो इसकी जांच होनी चाहिए, ताकि गरीबों तक उनका अनाज मिल सके व घोटालेबाजों को सबक मिले.