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ग्राउंड रिपोर्ट : पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में ढेर राजेश 2003 में बना नक्सली,परिवार वालों ने शव लेने से किया इनकार

गुमला में गुरुवार को पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में ढेर हुआ दो लाख का इनामी नक्सली राजेश उरांव के शव को उसके परिवार वालों ने लेने से इनकार किया है. भाई और भाभी ने कहा कि जो जैसा करेगा, वैसा ही फल पाएगा. माओवादी के शीर्ष नेता स्वर्गीय बुद्धेश्वर उरांव के संपर्क में आकर 2003 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ.

गुमला, दुर्जय पासवान : वर्ष 2001 से ही दुर्दांत नक्सली टोहन महतो के संपर्क में लगातार राजेश उरांव (मारा गया नक्सली) रहता था. शराब, खस्सी, मुर्गा खाने की लत लग गयी थी. बाद में टोहन महतो पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. जिसके बाद एक दिन राजेश की मां सुगनी देवी द्वारा मांड़-साग बनाकर राजेश को खाने के लिए दिया, तो राजेश गुस्से में आ गया और सारा खाना उठा कर फेंक दिया. इसके बाद वह घर से निकल कर चला गया. इसके बाद माओवादी के शीर्ष नेता स्वर्गीय बुद्धेश्वर उरांव के संपर्क में आकर नक्सली संगठन में 2003 में शामिल हो गया. तब से लगातार माओवादी गतिविधि में शामिल रहा.

राजेश के शव को नही लेंगे : भाभी

घाघरा थाना के एसआई टेकलाल महतो घटना की सूचना देने के लिए हुटार गांव पहुंचे और जैसे ही राजेश के भाई और भाभी को राजेश की मौत की सूचना दे रहे थे. इसी दौरान राजेश की भाभी ने कहा हमें उसके शव से कोई लेना-देना नहीं है. पुलिस अपने तरीके से उसका अंतिम संस्कार कर दे. घर में हम अपने खाने के लिए तरस रहे हैं, तो शव का अंतिम संस्कार कैसे करेंगे. राजेश कितने लोगों को तड़पाया है. कितने लोगों को मारा है. वैसे नक्सली का शव हम देखना भी नहीं चाहते. उसकी मौत से हम सभी खुश हैं और वैसे नक्सली का यही अंजाम होना चाहिए जो पुलिस ने किया. साथ ही भाभी ने यह भी कहा कि पुलिस का काम था कि मौत की सूचना देना. पुलिस ने अपना काम किया. पर, हमें उसके शव से कोई लेना-देना नहीं. हम उसके शव को गांव में भी लाना भी नहीं चाहते हैं.

भाई है तो दुख हो रहा है पर जैसी करनी वैसी भरनी : भाई

राजेश के भाई भैयाराम उरांव ने कहा भाई है तो दुख हो रहा है. पर जैसी करनी वैसी भरनी. एक न एक दिन राजेश को मरना ही था. गलत का अंजाम हमेशा गलत होता है. हमें वैसे नक्सली से कोई लेना-देना नहीं जो कईयों का घर बर्बाद किया हो. कई लोगों को तड़पाया हो. जो जैसा करता है. उसके साथ वैसा ही होता है.

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गांव के युवा राजेश की बातें पर नहीं देते थे ध्यान

गांव के युवा बुद्धेश्वर उरांव ने बताया कि हमेशा रात के समय मोटरसाइकिल में गांव आता था और थोड़ी देर रहने के बाद तुरंत ही गांव से चला जाता था. ज्यादा समय तक गांव में नहीं रुकता था. जब भी आता तो माओवादी संगठन की तारीफ करता था. पर हमलोग कभी उसके बातों पर ध्यान नहीं दिये. गांव के युवा अपेंद्र उरांव ने कहा जो जैसा करेगा. उसके साथ वैसा ही होगा. अभी हम लोगों को सूचना मिला है कि मुठभेड़ में राजेश को मार गिराया गया है. यह तो होना ही था. लंबे समय से वह माओवादी संगठन में शामिल था.

घर में हमेशा लड़ाई करता था राजेश : परिजन

राजेश के भाई भैयाराम उरांव व भाभी बसंती देवी की आर्थिक स्थिति दयनीय है. दोनों ने बताया कि लंबे समय से राजेश माओवादी संगठन में काम कर रहा था. पर हमें किसी भी तरह का सहयोग उसने नहीं किया. जो हम सभी खेत में काम करके अनाज उगाते हैं. उसी से अपना जीवन चलता है. जब भी राजेश घर आता बच्चों के सामने हम सभी से लड़ाई करता था. अपने भाई को भी मारपीट करता था. उग्रवादी संगठन में है. यह सोचकर हम सभी चुपचाप रहते थे हमें भी डर लगा रहता था.

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