Jharkhand news: गुमला जिले में वर्ष 2021 में कई सपने अधूरे रहे गये. इनमें पुल, पुलिया और सड़क का निर्माण भी है. बाइपास सड़क का काम अबतक पूरा नहीं हुआ है. जिससे गुमला शहर के लोगों को परेशानी हो रही है. आये दिन जाम और सड़क हादसे हो रहे हैं. यहां तक कि शहर से हजारों गाड़ियों के गुजरने से उड़ते धूलकण से भी लोगों के सेहत पर असर पड़ रहा है. वहीं, बसिया और सिसई को जोड़नी वाली सड़क भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है. करमटोली से कांसीर की सड़क पर अबतक काम शुरू नहीं हुआ है. वहीं, कई बड़े पुल भी ध्वस्त होने और पीलर टेढ़ा होने के बाद नये सिरे से पुल नहीं बना. जिससे बरसात में सैंकड़ों गांव के लोगों को परेशानी होती है.
गुमला में बाइपास सड़क का काम 2002 से हो रहा है, लेकिन इन 19 सालों में बाइपास सड़क अभी तक पूरी नहीं हुई. जबकि धीरे-धीरे सड़क की लागत भी कई गुणा बढ़ गया. बाइपास सड़क चालू नहीं होने से गुमला शहर के लोगों को परेशानी हो रही है. 12.8 किमी सड़क बननी है. लागत करीब 67 करोड़ रुपये है. इस सड़क को बनाने के लिए करीब 160 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया है. आठ बड़े पुल, 33 कलभर्ट बनना है, लेकिन सिलम के समीप अभी भी पुल का काम पूरा नहीं हुआ है. संवेदक को समय पर पेमेंट भी नहीं मिलने से काम में तेजी नहीं आ रही है.
बसिया और सिसई सड़क अबतक नहीं बनी है. यह सड़क करीब 50 हजार आबादी के लिए लाइफ लाइन है, लेकिन प्रशासनिक अदूरदर्शिता, स्थानीय नेताओं द्वारा रुचि नहीं लेने और ठेकेदार की लापरवाही से सड़क का काम अभी तक अधूरा है. इस सड़क के नहीं बनने से लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है. 37.50 किमी लंबी सड़क बनानी है. लागत करीब 47 करोड़ रुपये है. वर्ष 2012 में पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा ने ऑनलाइन शिलान्यास किये थे. वर्ष 2015 में दोबारा पूर्व स्पीकर और सांसद ने सड़क का शिलान्यास किये थे. सड़क की लागत बढ़ गयी, लेकिन नहीं बनी.
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गुमला के करमटोली से लेकर रायडीह के कांसीर गांव तक पक्की सड़क बननी है. 26 किमी सड़क करीब 80 लाख रुपये की लागत से बननी है. लेकिन, अब तक सड़क बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है. जर्जर सड़क के कारण गुमला और रायडीह के करीब 100 गांव के लोग परेशान हैं. 25 हजार आबादी इस सड़क से आवागमन करती है. सड़क बनाने को लेकर लोगों ने सड़क जाम किया. आंदोलन किया. इसके बाद भी प्रशासन सड़क बनाने की कवायद शुरू नहीं की है. अगर यह सड़क बन जाती है, तो इस क्षेत्र के विकास में सहायक साबित होगा. परेशानी भी दूर होगी.
डुमरी प्रखंड के जैरागी में चरकाटांगर पुल, रायडीह प्रखंड के मिलमिली पुल, बिशुनपुर प्रखंड के लोंगा नदी पुल, घाघरा प्रखंड के बरांग नदी में पुल, पालकोट व रायडीह के सीमावर्ती में ऊंचडीह नदी पुल नहीं बनने से सैंकड़ों गांव के लोग परेशान है. इसके अलावा ऐसे दर्जनों गांव है. जहां गांव तक जाने के लिए नदी में पुल व पुलिया का निर्माण नहीं हुआ है. जिससे लोगों को बरसात के दिनों में परेशानी झेलनी पड़ती है. ग्रामीणों ने कई बार पुल बनाने की मांग की, लेकिन प्रशासन और किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. जिसका खमियाजा आम जनता को भुगतनी पड़ रही है.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.