गुमला शहर की लाइफ लाइन बाईपास सड़क अब भी अधूरी, दोबारा बढ़ा डेटलाइन, जानें कब चालू होगी सड़क
Jharkhand news: गुमला शहर की लाइफ लाइन बाईपास सड़क अब भी अधूरी है. इसके कारण 51 हजार आबादी खतरे में है. आये दिन हादसे हो रहे हैं. धूलकण से लोग बीमार भी हो रहे हैं. एक बार फिर इस बाईपास सड़क के निर्माण को लेकर डेटलाइन बढ़ाया गया है.
Jharkhand news: गुमला शहर की बिग इश्यू बाईपास सड़क है. कहा जाये तो बाईपास सड़क गुमला के लिए लाइफ लाइन है. वर्ष 2000 से सड़क बन रही है. अबतक सड़क पूरी नहीं बनी है. अभी 80 प्रतिशत तक सड़क बन गयी है. 20 प्रतिशत काम बचा हुआ है. मुख्य बाधा बाईपास सड़क के बीच में पड़ रही पहाड़ है. जिसे बम से उड़ाने के बाद अबतक नहीं हटाया गया है. वहीं, सिलम घाटी के समीप डायवर्सन भी एक बड़ी समस्या है. इन दो समस्याओं को दूर कर ही बाईपास सड़क को चालू किया जा सकता है.
एक माह का मिला एक्सटेंशन
गुमला शहर के लोगों की मांग व आंदोलन के बाद गुमला प्रशासन ने 15 मार्च तक बाइपास सड़क चालू करने का आश्वासन दिया था. लेकिन, 15 मार्च के बाद 31 मार्च भी खत्म हो गये. इसके बावजूद अबतक ये दो बड़ी समस्या दूर नहीं हुई है. प्रभात खबर ने दोबारा इस मुद्दे को गुमला डीसी सुशांत गौरव के समक्ष रखा है. इसपर डीसी श्री गौरव ने कहा है कि 30 अप्रैल तक बाइपास सड़क चालू हो जाएगी.
शहर के बाजार और ट्रैफिक व्यवस्था पर पड़ा असर
यहां बता दें कि कुछ दिन पहले डीसी ने बाईपास सड़क की स्थिति की जानकारी लिए हैं. जानकारी लेने के बाद उन्होंने बाईपास सड़क के काम को तेजी से कराने के लिए कहा है, ताकि गुमला के लोग की जो पुरानी मांग है. वह पूरा हो सके. बाईपास सड़क के कारण गुमला शहर के बाजार और ट्रैफिक पर व्यापक असर पड़ रहा है.
संवेदक काम में नहीं ले रहा रुचि
वर्ष 2000 से सड़क बन रही है. इसके बाद वर्ष 2016 में इस सड़क का दोबारा शिलान्यास किया गया. लागत भी कई गुणा बढ़ा दिया गया, लेकिन एनएच विभाग की सुस्ती, फीडबैक कंपनी की लापरवाही और छत्तीसगढ़ राज्य के संवेदक की मनमर्जी के कारण बाईपास सड़क पूरा होता नहीं दिख रहा है. सड़क का 80 प्रतिशत कम हो चुका है. मात्र 20 प्रतिशत काम को संवेदक ने लटका रखा है. जिस कारण बाईपास चालू नहीं हो रहा है. संवेदक मेसर्स संजय अग्रवाल सड़क को तेजी से बनवाने में रुचि नहीं ले रहे हैं. वहीं एनएच विभाग संवेदक पर सड़क बनाने को लेकर कोई दबाव नहीं दे रहा है, जबकि अलग से सड़क की देखरेख के लिए रखी गयी फीडबैक कंपनी भी है.
2018 में सड़क पूरी होनी थी, अब 2022 हो गया
12.8 किमी सड़क 66.89 करोड़ रुपये की लागत से बन रही है. पूर्व सीएम रघुवर दास ने 18 अप्रैल, 2016 को सिसई में ऑनलाइन शिलान्यास कर 2018 के अप्रैल महीने तक पूर्ण करने का निर्देश दिये थे. लेकिन अब दो साल से अधिक हो गया. अभी तक सड़क पूरी नहीं हुई है. बाइपास सड़क नहीं रहने के कारण गुमला शहर की 51 हजार आबादी खतरे में है. क्योंकि शहरी क्षेत्र नेशनल हाइवे-43 व 78 के किनारे अविस्थत है. सभी बड़ी गाड़ी शहर से होकर गुजरती है. जिससे आये दिन हादसे हो रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है. जाम की समस्या तो लोगों का जीना दूभर कर दिया है. ऊपर से बड़ी गाड़ियां चलने से सड़कों से उड़ते धूल-कण लोगों को बीमार कर रही है.
रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.