गुमला : पालकोट प्रखंड की नाथपुर पंचायत स्थित बड़कीटोली गांव में मुर्गी शेड बना नहीं. परंतु पैसा की निकासी हो गयी. जिस एनजीओ को काम सौंपा गया था. अधूरा काम करा कर छोड़ दिया और पूरा पैसा निकाल लिया. 29 शेड बनना था. एक शेड की कीमत एक लाख 90 हजार रुपये थी. इस प्रकार कल्याण विभाग से 55 लाख रुपये की निकासी हो गयी. परंतु शेड नहीं बना. इस गांव में महिलाओं के लिए मुर्गी शेड बनाने की योजना थी.
वर्ष 2019 से योजना अधर पर लटकी हुई है. शेड बनाने के नाम पर सिर्फ पिलर उठाया गया है. वहीं कुछ जगहों पर हल्की दीवार खड़ी है, जो आधी अधूरी है. मुर्गी शेड बनने के बाद गांव की महिलाएं मुर्गी पालन कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने की योजना थी. लेकिन संवेदक व विभाग की अनदेखी के कारण यह योजना अधर पर लटक गयी है. गांव की सेलेस्टीना डुंगडुंग ने बताया कि मेरा मुर्गी शेड अधूरा बना है. 2019 में हमारे गांव में मुर्गी शेड बनाने के लिए बाहर से कुछ ठेकेदार आये और बोले कि आप लोगों के गांव में हम मुर्गी शेड बनाने आये हैं.
आप लोग जगह दें. लक्ष्मी देवी ने बताया कि यह काम एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के माध्यम से होगा. जिसमें आप लोगों को एक लाख 90 हजार की लागत से मुर्गी शेड का निर्माण होगा. जिसमें आपलोगों को 66 हजार रुपये मिलेंगे. जिसमें आप लोग मुर्गी पालन कर अंडे को बाजार में बेच सकते हैं.
कुमुदनी किंडो ने बताया कि हमारे गांव में मुर्गी शेड बनाने के लिए पेटीदार ठेकेदारों द्वारा मुर्गी शेड बनाया जा रहा था. पेटी में काम करने वाले को फायदा नहीं हुआ. इसलिए काम को बंद कर दिया गया है. गांव के 29 महिलाओं का मुर्गी शेड बनाने के लिए चयनित किया गया था. जिसमें कलावती देवी, जानकी देवी, सुष्मिता देवी, सुशीला किंडो़, जयंती देवी, कुंवारी कुल्लू, शांति देवी, विमला देवी, कुंती देवी, मंगरी देवी, ललिता डुंगडुंग, बेरोनिका कुल्लू, रोशलीना कुल्लू, अंजली केरकेट्टा, सुलचनी देवी, अलका डुंगडुंग, सुमंती कुल्लू, जुनिका किंडो़, लौरेंसिया किंडो़, अरूणी किंडो को आशियाना कंस्ट्रक्शन रांची की तरफ से मुर्गी शेड बनाने के लिए पास हुआ था.
इस संबंध में पेटीदार ठेकेदार दीपक साहू ने कहा कि आशियाना कंस्ट्रक्शन रांची द्वारा सही समय पर पैसा नहीं मिल रहा था. इसलिए काम को बंद करना पड़ा. इधर, काम करा कर मजदूरी भुगतान भी बाकी है. एक तरफ सरकार व एनजीओ गांव की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए व्यापक कदम उठा रही है. दूसरी तरफ गांव की महिलाएं ठगा महसूस कर रही है.