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18 मई को 38 साल का होगा गुमला जिला, लोगों की जिद के आगे हार रही कोरोना, इस जिले के बारे में जानें

Jharkhand News (गुमला) : मंजिलें भी जिद्दी है. रास्ते भी जिद्दी है. देखते हैं कल क्या होगा. गुमला जिला के हौसलें भी जिद्दी है. इस जिद से गुमला नित्य प्रगति के पथ पर बढ़ रहा है. संकट भी आ रहे हैं. बाधा भी उत्पन्न हो रही है. कोरोना महामारी भी है. मन में डर है. लॉकडाउन का असर है. जिंदगी कष्टों से गुजर रही है. लेकिन, गुमला जिला की जनता की जिद है. कोरोना महामारी को हराना है. इस जिद के कारण अभी तक अपना गुमला जिला कोरोना को हराता आया है. आज हमारा गुमला जिला 38 साल का हो गया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2021 5:21 PM

Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : मंजिलें भी जिद्दी है. रास्ते भी जिद्दी है. देखते हैं कल क्या होगा. गुमला जिला के हौसलें भी जिद्दी है. इस जिद से गुमला नित्य प्रगति के पथ पर बढ़ रहा है. संकट भी आ रहे हैं. बाधा भी उत्पन्न हो रही है. कोरोना महामारी भी है. मन में डर है. लॉकडाउन का असर है. जिंदगी कष्टों से गुजर रही है. लेकिन, गुमला जिला की जनता की जिद है. कोरोना महामारी को हराना है. इस जिद के कारण अभी तक अपना गुमला जिला कोरोना को हराता आया है. आज हमारा गुमला जिला 38 साल का हो गया.

38 साल के गुमला जरूर कोरोना महामारी से लड़ रहा है, लेकिन गुमला की आबोहवा, यहां की प्राकृतिक बनावट गुमला को सुरक्षित रखे हुए है. विरासत को संजोये हुए हम आगे बढ़ रहे हैं. क्योंकि आगे बढ़ना प्रकृति का नियम है. प्रकृति भी आगे बढ़ने के लिए हमें प्रेरित कर रही है. इतिहास इसका गवाह है. गुमला जिले में कुछ अपवाद बातों को छोड़ दें, तो निरंतर कुछ नया हो रहा है.

गुमला जिला विकास के पथ पर अग्रसर है. धीरे-धीरे नक्सलवाद खत्म हो रहा है. लेकिन, भ्रष्टाचार जिले के विकास में बाधक बनी हुई है. गुमला के विकास के लिए सरकार करोड़ों रुपये दे रही है. लेकिन, एक टेबल से दूसरे टेबल होते हुए पब्लिक तक विकास का पैसा पहुंचने में देरी हो रही है. टेबल दर टेबल बढ़ने में विकास का आधा पैसा खत्म हो जा रहा है. ऐसे, मनुष्य के जीवन में उतार चढ़ाव एक निरंतर प्रक्रिया है. इसी प्रक्रिया का एक अंग अपना गुमला जिला रहा है. जो कई उतार चढ़ाव के बाद आज विकास के पथ पर है. जरूर कुछ स्थानों पर हम पीछे हैं.

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फिर भी वर्तमान में गुमला जिला की जो स्थिति है. पहले की भांति बेहतर है. प्रयास सभी का है. हम आगे बढ़ रहे हैं. 18 मई को गुमला जिला का स्थापना दिवस है. 18 मई, 1983 को गुमला को जिला का दर्जा प्राप्त हुआ था. इसके बाद कई चुनौतियों का सामना करते हुए आज गुमला 38 साल का हो गया. यानी पूरी तरह समझदार व परिपक्व गुमला.

झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसे गुमला जिले का इतिहास गौरवपूर्ण है. नक्सलवाद से जुड़े रहे गुमला में सभी जाति व धर्म के लोग रहते हैं. यह आदिवासी बहुल जिला है. इसाईयों की संख्या भी अधिक है. यह श्रीराम भक्त हनुमान की जन्मस्थली है. पग-पग पर धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल है. दक्षिणी कोयल व शंख नदी गुमला से होकर बहती है.

धार्मिक आस्था के केंद्र टांगीनाथ धाम, देवाकीधाम, महामाया मंदिर, वासुदेव कोना मंदिर है. रमणीय पंपापुर, नागफेनी, बाघमुंडा, हीरादह गुमला जिले की पहचान है. ऐतिहासिक धरोहर डोइसागढ़ है. गुमला धर्मप्रांत में 38 चर्च है. कई चर्च पुराने हैं. जो अपने अंदर प्राचीन इतिहास समेटे हुए है. अंग्रेजों को धूल चटाने वाले बख्तर साय, मुंडन सिंह, तेलंगा खड़िया व जतरा टाना भगत जैसे वीर सैनानियों की जन्म भूमि है. परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का जैसे वीर सपूत इसी गुमला के जारी प्रखंड की धरती पर जन्म लिये. गुमला शहीदों की भूमि है.

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खनिज संपदाओं से परिपूर्ण गुमला 18 मई, 1983 को रांची से अलग होकर जिला बना. गुमला जिला 5327 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है. कुल जनसंख्या 12,46,249 है. जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 6,25,292 व महिला जनसंख्या 6,20,957 है. लिंगानुपात 993 प्रति हजार पुरुष है. गुमला जिले में 12 प्रखंड और तीन अनुमंडल गुमला, चैनपुर व बसिया है. पंचायतों की संख्या 159 है. राजस्व गांव 952 है. दो राजस्व गांव बेचिरागी है. गुमला शहरी क्षेत्र में एक नगर परिषद है. जिसकी आबादी 51307 है. जिले में कृषि योग्य भूमि 3.296 लाख व वन क्षेत्र 1.356 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है. खनिज के रूप में बॉक्साइड है. लेकिन, कारखाना नहीं है.

गुमला गांवों में बसा है. यहां के लोग जीविका के लिए खेतीबारी, घरलू उद्योग धंधे व मजदूरी करते हैं. गुमला के बगल में लोहरदगा, सिमडेगा, रांची व लातेहार जिला का बॉर्डर सटता है. यह छत्तीसगढ़ व ओड़िशा राज्य का प्रवेश द्वार है. उग्रवाद, पलायन, गरीबी, अशिक्षा, सिंचाई, बेरोजगारी जैसी कई चुनौतियों का सामना करते हुए गुमला आगे बढ़ रहा है. लेकिन, गुमला के कुछ हालात ऐसे हैं. जिसे बदलना है. जरूरत है, आपके अच्छी सोच की. जिससे गुमला झारखंड ही नहीं पूरे देश में मॉडल जिला बन सके.

गुमला के प्रमुख धार्मिक, पर्यटक व ऐतिहासिक स्थलों में आंजनधाम, टांगीनाथ धाम, वासुदेव कोना, देवाकीधाम, बनारी में पांच पांडव पहाड़, बिशुनपुर में रंगनाथ मंदिर, डुमरी में सीरासीता, अलबर्ट एक्का जारी में रूद्रपुर का प्राचीन शिवमंदिर, सिसई में छोटानागपुर महाराजाओं की राजधानी डोयसागढ़, नागफेनी, पंपापुर, सुग्रीव गुफा, हापामुनी का प्रसिद्ध महामाया मंदिर, रायडीह में हीरादह, बाघमुंडा जलप्रपात, डुम्बो मंदिर है.

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अपने 38 वर्ष की उम्र में गुमला जिला ने अबतक 37 डीसी व 28 एसपी देखे हैं. खेल के क्षेत्र में निरंतर बढ़ते गुमला की धरती से कई राज्य व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों का जन्म हुआ है. जेपीएससी व यूपीएससी की परीक्षा में कई होनहारों ने गुमला जिले का मान सम्मान बढ़ाया है. बस अब बुलंदियों को छूने की आशा है और यह तभी संभव है. जब हम सब मिलकर कोरोना वायरस को हराकर फिर नये उत्साह, उमंग, जोश से आगे बढ़ेंगे.

गुमला की आबादी धर्म के अनुसार

धर्म : आबादी
हिंदू : 3,76,305
ईसाई : 2,46,097
मुस्लिम : 62,517
सिख : 269
बौद्ध : 645
जैन : 28
अघोषित : 4,290
अन्य : 5,56,098
कुल : 12,46,249

गुमला जिला एक नजर में

प्रखंड : 12
अनुमंडल : 03
पंचायत : 159
गांव : 952
थाना : 18
नगर परिषद : 01

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गुमला जिले में कोरोना अपडेट

अबतक कोरोना पॉजिटिव मरीज : 8391
अबतक ठीक हुए मरीजों की संख्या : 6516
वर्तमान में पॉजिटिव मरीजों की संख्या : 1847
कोरोना से निधन मरीजों की संख्या : 28

Posted By : Samir Ranjan.

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