भगवान भरोसे चल रहा है गुमला का मत्स्य विभाग, पदाधिकारी कार्यालय आने के बजाय फरमाते हैं आराम
जिला मत्स्य विभाग गुमला इन दिनों भगवान भरोसे चल रहा है. अधिकारी का दर्शन दुर्लभ है. इससे मछली पालक किसान परेशान हैं.
जिला मत्स्य विभाग गुमला इन दिनों भगवान भरोसे चल रहा है. अधिकारी का दर्शन दुर्लभ है. इससे मछली पालक किसान परेशान हैं. अधिकारी के नहीं रहने से मछली पालन और न ही विभाग से संचालित योजनाओं की जानकारी किसानों को मिल पा रही है. नतीजा, गुमला दिनों-दिन मछली पालन में पीछे होता जा रहा है. जबकि तीन साल पहले तक गुमला जिला मछली पालन में नंबर वन रहता था.
सही मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण अब किसानों में मछली पालन के प्रति रुचि कम हो रही है. किसान बताते हैं. अधिकारी कार्यालय में रहते नहीं हैं. यदि कोई कभी जिला मत्स्य पदाधिकारी (डीएफओ) से मुलाकात करने पहुंच जाता है, तो अधिकारी अपने क्वार्टर में आराम फरमाते रहते हैं. परंतु किसानों से नहीं मिलते हैं. सांसद प्रतिनिधि भोला चौधरी ने कहा कि विभाग से संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी लेने के लिए किसान कार्यालय पहुंचते हैं, तो उनकी अधिकारी से मुलाकात नहीं हो पाती है.
कोई कभी केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) तो कोई कभी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से संबंधित योजनाओं का लाभ लेने के लिए पहुंच रहे हैं. परंतु कार्यालय में डीएफओ के नहीं रहने के कारण न तो लोग उनसे मुलाकात कर पाते हैं और न ही योजना के संबंध में जानकारी ले पाते हैं. वहीं अधिकारी के नहीं होने के संबंध में कर्मचारियों से पूछा जाता है, तो कर्मचारी कभी बताते हैं कि साहब आये थे. अभी फील्ड में गये हैं, तो कभी बताते हैं कि साहब मीटिंग में गये हैं.
बहरहाल, कर्मचारी जो भी बतायें कार्यालय परिसर में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. इसकी जांच की जा सकती है. इधर, सोमवार को केसीसी के संबंध में कुछ लोग जिला मत्स्य कार्यालय पहुंचे थे. वे लोग मत्स्य पालक किसान थे. वृहद स्तर पर मत्स्य पालन करने के लिए केसीसी से लोन लेना चाह रहे हैं.
परंतु उनलोगों के पास आवेदन नहीं था. डीएफओ से मुलाकात नहीं होने पर कार्यालय के बड़ा बाबू बिंदु भूषण सिंह मुंडा ने उन लोगों को फार्म उपलब्ध कराया. बड़ा बाबू ने बताया कि मत्स्य विभाग से संचालित योजनाओं को लेकर कई लोग कार्यालय आ रहे हैं. इस संबंध में अधिकारी का पक्ष लेने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया. परंतु उनसे संपर्क नहीं हुआ.