गुमला स्थापना दिवस विशेष: कभी था नशे की गिरफ्त में, ललित उरांव बस पड़ाव ऐसे हुआ नशामुक्त
बस पड़ाव परिसर में चल रही गतिविधियों पर दैनंदिन पर्यवेक्षण और निरीक्षण के उद्देश्य से कार्यपालक पदाधिकारी ने बस पड़ाव में ही अपना एक कैंप कार्यालय खोला. वहां चार लोगों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. जिसका प्रत्यक्ष असर दिखा है.
गुमला, जगरनाथ पासवान: गुमला शहर के ललित उरांव बस पड़ाव में अदभुत बदलाव आया है. यहां हड़िया दारू की बिक्री बंद हो गयी है. एक समय था, जब बस पड़ाव नशा में जकड़ा हुआ था. हर तरफ हड़िया व दारू बिकता था. परंतु, नगर परिषद की पहल के बाद बस पड़ाव नशामुक्त हो गया है. स्थानीय पुलिस और मद्य निषेध विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी बस पड़ाव को नशामुक्त बनाने में अहम भूमिका निभाये हैं. गुमला को जिला बने 40 वर्ष होने जा रहे हैं. इन 40 वर्षो के सफर में नशामुक्ति का यह अभियान बस पड़ाव में सफल रहा है. नगर परिषद के प्रशासक संजय कुमार की ओर से न केवल हड़िया दारू बेचने वाली महिलाओं की काउंसलिंग की गयी. बल्कि वहां दारु पीने पहुंचने वाले लोगों को भी कई बार बैठाकर समझाया गया तो कई बार डांट फटकार भी लगायी गयी. न केवल नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी बल्कि उड़नदस्ता टीम ने भी प्रतिदिन बस पड़ाव परिसर में गस्त किया. शराबखोरी में संलिप्त विक्रेता और खरीदारों दोनों को खदेड़ा. अंततोगत्वा समझा-बुझाकर सभी को उक्त पेशा छोड़ने के लिए तैयार किया गया.
बस पड़ाव में खुला कैंप
बस पड़ाव परिसर में चल रही गतिविधियों पर दैनंदिन पर्यवेक्षण और निरीक्षण के उद्देश्य से कार्यपालक पदाधिकारी ने बस पड़ाव में ही अपना एक कैंप कार्यालय खोला. वहां चार लोगों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. जिसका प्रत्यक्ष असर दिखा है. कार्यपालक पदाधिकारी की अपील पर जिन महिलाओं ने स्वेच्छा से हड़िया बिक्री को त्याग दिया. उन्हें वैकल्पिक जीविका के रूप में नगर परिषद में नौकरी दी गयी. ताकि उनके सामने जीविका का संकट न हो.
होटल को किया गया सील
बार-बार हिदायत देने के बावजूद शराब एवं अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री बंद नहीं करने तथा अवैध निर्माण के चलते कार्यपालक पदाधिकारी के निर्देश पर उड़नदस्ता दल ने कड़ी कार्रवाई करते हुए बस पड़ाव स्थित मंगरी होटल को पिछले दिनों सील कर दिया. इस बड़ी कार्रवाई से नशा व्यवसायियों के बीच सख्त संदेश गया. बस स्टैंड एवं आसपास के इलाकों में नशा का व्यवसाय करने वाले कई लोगों ने नगर परिषद की अपील पर वैकल्पिक व्यवसाय चुन लिया है. करमपाल ने अब हड़िया बिक्री छोड़कर चाय-नाश्ता का धंधा शुरू कर दिया है. करमपाल का कहना है कि अब वे कभी भी नशा का व्यवसाय नहीं करेंगे.