Jharkhand News: गुमला जिला में जमीन के नीचे पानी का लेबल (Underground Water Label) घट रहा है. यह इस जिले के लिए चिंताजनक बात है. यदि स्थिति ऐसी ही रही, तो आने वाले कुछ सालों में इस जिले में पानी की भयावह स्थिति हो सकती है. यह जानकारी मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग भारत सरकार के उपसचिव राकेश कुमार सिंह ने पत्रकारों को दी.
जलशक्ति मंत्रालय ने कराया सर्वे
उन्होंने बताया कि पूरे देश में कुल 526 जनपद (Districts) है. जिसमें गुमला जिला भी एक है. केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) द्वारा अन्य जनपदों की तरह ही गुमला में भी पानी की स्थिति को लेकर सर्वे कराया गया है. यहां पानी लेबल की स्थिति खराब हो रही है. चूंकि गुमला पठारी जिला है. हर साल यहां बारिश भी काफी अच्छी होती है. लेकिन, अच्छी बारिश होने के बावजूद यहां बारिश के पानी का ठहराव नहीं हो पा रहा है. बरसाती पानी जमीन के ऊपर से बही बहकर निकल जा रही है. पानी के बहाव को ठहराव में सुनिश्चित होगा.
बरसाती पानी को रोकने की ठोस योजना पर हो कार्य
उपसचिव राकेश कुमार सिंह ने बताया कि इसके लिए जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है. प्रशासन द्वारा बरसाती पानी का ठहराव सुनिश्चित करने के लिए पहले ही अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है. अब उन योजनाओं को और भी ठोस रूप से संचालित करने की जरूरत है. अब वक्त आ गया है कि लोग इसे सिर्फ प्रशासन और सरकार की जिम्मेवारी नहीं समझकर खुद की जिम्मेवारी भी समझे. लोग पानी को लेकर अपने आचार, विचार और व्यवहार में परिवर्तन लाये और पानी का संबर्द्धन और संचयन सुनिश्चित करें.
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गुमला की दो प्रमुख नदियां हैं पानी का आधार
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पानी का दुरुपयोग करने से बचे. दिनोंदिन जनसंख्या में वृद्धि हो रही है. अगर आज हम पानी नहीं बचा पायेंगे, तो आने वाले समय में हमारे लोगों के पीने तक के लिए पानी नहीं बचा पायेंगे. उन्होंने बताया कि गुमला की दो प्रमुख नदियां पानी का आधार है. नदियां के आसपास वाले क्षेत्र में पानी की कमी नहीं है, लेेकिन जैसे-जैसे नदी से दूर होते हैं. वैसे-वैसे पानी का स्तर कम होता जाता है. हर जगह पानी की उपलब्धता बरकरार रखने के लिए जमीने के नीचे पानी के स्तर को बेहतर बनाना होगा. लेकिन, यह तभी संभव है जब बरसाती पानी को जमीन के नीचे तक पहुंचाया जाये. इसके लिए अधिकाधिक कुआं, डोभा, तालाब बनाया जाए. अधिकाधिका वृक्षारोपण किया जाये. साथ ही जिस पानी को हम उपयोग करते हैं. सुनिश्चित करें कि वह पानी फिर से जमीन में चला जाए.
गुमला में भूजल स्तर में आ रही कमी
वहीं, CGWD के वैज्ञानिक डॉ पीवीके कुमार ने बताया कि गुमला में पहले भी पानी के लेबल का जांच किया गया है. लेकिन, तब और अब में अंतर यह है कि तब पानी की स्थिति ठीक थी. लेकिन, अब पानी का लेबल घट रहा है. जो चिंता का विषय है. धरती के नीचे पानी के लेबल को पहले की तरह ही फिर से करने के लिए धरती को रिचार्ज करने की जरूरत है. इसके लिए बरसाती पानी का ठहराव सुनिश्चित करना होगा.
रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.