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गुमला हॉकी स्टेडियम : हॉलैंड से मंगाया गया था एस्ट्रोटर्फ, करोड़ों खर्च, परंतु खेलने लायक ग्राउंड नहीं

गुमला जिला हॉकी खेल की नर्सरी है. परंतु ग्राउंड के आभाव में खेल प्रतिभा कुंठित हो रही है.

गुमला जिला हॉकी खेल की नर्सरी है. यहां से कई खिलाड़ी निकले, जो राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नाम कमाया. आज से 15 साल पहले हॉकी खेल में गुमला जिला की तूती बोलती थी. लेकिन आज ग्राउंड के आभाव में खेल प्रतिभा कुंठित हो रही हैं. गुमला में हॉकी खेलने लायक ग्राउंड नहीं हैं. जिस कारण खिलाड़ी खेल का अभ्यास बेहतर तरीके से नहीं कर पा रहे हैं.

हालांकि वर्ष 2005 में हॉकी खेल को बढ़ावा देने के लिए कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार द्वारा संत इग्नासियुस हाई स्कूल के कुछ जमीन को अपने अधीन लेकर उसमें एस्टोटर्फ (हॉकी ग्राउंड) का निर्माण किया गया था. यहां हॉकी खेल के लिए सभी सुविधा देनी थी. परंतु सिर्फ ग्राउंड बनाकर छोड़ दिया गया. हॉलैंड से एस्टोटर्फ मंगाकर ग्राउंड में बिछाया गया.

लेकिन पानी छिड़कने की व्यवस्था नहीं रहने के कारण एस्ट्रोटर्फ उखड़ गया है. अब पूरा एस्ट्रोटर्फ सड़ गया है. गैलरी बनी है. परंतु बैठने लायक नहीं है. चेजिंग रूम है. परंतु जर्जर हो गया है. चेजिंग रूम में खिलाड़ी नहीं जाते हैं. बिजली की व्यवस्था नहीं है. एस्ट्रोटर्फ की वर्तमान स्थिति ऐसी है कि मैदान में जहां-तहां जलजमाव है.

कई जगहों पर टर्फ घिसकर खराब हो गया है और टर्फ को सतह (जमीन) से सही से नहीं चिपकाये जाने के कारण जहां-तहां से उखड़ गया है. वहीं अगर खिलाड़ियों को ड्रेस चेंज करने के लिए चेंज रूम जाना है तो एस्टोटर्फ मैदान के बीच से होकर जाना पड़ेगा? क्योंकि चेंज रूम जाने के लिए और कोई रास्ता नहीं है. दर्शक-दीर्घा में काई जमने लगी है. जो बैठने लायक नहीं है.

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