धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहरों से पटा है गुमला, फिर भी पर्यटन स्थल का दर्जा पाने को तरस रहा जिला, देखें Pics
गुमला जिले में 40 पर्यटक और धार्मिक स्थल है. इसके बावजूद इन क्षेत्रों का विकास नहीं हुआ है. ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल होने के बाद भी इसे आज तक पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया है. आज भी यहां की सुंदरता लोगों को बरबस अपनी ओर खींच रही है.
Jharkhand News (जगरनाथ/जॉली, गुमला) : गुमला जिला को स्वयं प्रकृति ने संवारा है. यहां की सुंदरता मनमोह लेती है. गुमला में 40 पर्यटक स्थल व धार्मिक स्थल है. जिनकी अदभुत प्राकृतिक छटा है. धार्मिक स्थल व ऐतिहासिक धरोहर है. इठला कर बहती नदी की धारा व सुंदर पत्थर है. आसपास घने जंगल, ऊंचे पहाड़ व शांत वातावरण है. गुमला अपने अंदर कई ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों का समेटे हुए है. लेकिन, अभी तक इसे पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिला है.
ऐसी बात नहीं है कि इसमें प्रयास नहीं हुआ है. गुमला में जितने भी डीसी आये. गुमला की नैसर्गिग बनावट को देख इसे अपने स्तर से विकसित करने का प्रयास किया. यहां तक कि पर्यटन विभाग को पत्र लिख कर प्रमुख धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों को विकसित करने की मांग की. लेकिन, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण आज भी गुमला जिला को पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिला है. जबकि पर्यटन स्थल का दर्जा पाने के लिए गुमला के पास सभी आधारभूत संरचनाएं व यहां की सुंदर बनावट है. गुमला के प्रमुख धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल जिसे जानने के बाद कहा जा सकता है कि हां गुमला वाकई में सुंदर जिला है.
हीरादाह : यह जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर है. यह धार्मिक सहित पर्यटक स्थल के रूप में विश्व विख्यात है. इसका नामकरण नदी से हीरा मिलने के कारण हीरादह पड़ा. यह नागवंशी राजाओं का गढ़ है. इस इलाके का अनुसंधान हो, तो यहां से अभी भी हीरे मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इस गढ़ में आज भी कई रहस्य छुपे हुए हैं. जिनसे अभी तक पर्दा नहीं उठा है. नागवंशी राजाओं के अंत के बाद यह स्थल वर्षो से गुमनाम रहा है. इस वजह से इलाके का सही तरीके से विकास नहीं हो सका है.
नागफेनी : गुमला शहर से 16 किलोमीटर दूर है. यह जिला के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है. यह गांव नागवंशी राजाओं का गढ़ था. जिनके भवनों के अवशेष आज भी देखने को मिलती है. यहां जगन्नाथ मंदिर, शिवलिंग पर लिपटे अष्टधातु निर्मित नाग, अष्टकमल दल, पाटराजा व नागसंत्थ देखने योग्य है. कोयल नदी की धारा पर खड़े हजारों चिकने पत्थर, अंबाघाघ जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाता है. सात खाटी कुंआ, कुकुरकुंडी, मठ टोंगरी, पौराणिक मठ, पहाड़ी पर नागवंशी काल के भग्नावशेष अपने इतिहास की कहानी कह रहे हैं.
देवाकीधाम : घाघरा प्रखंड से तीन किमी दूर केराझारिया नदी के तट पर देवाकी बाबाधाम धार्मिक स्थल के अलावा पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है. प्राचीन शिव मंदिर तीन एकड़ भू-भाग में है. जनश्रुति के अनुसार, महाभारत काल में पांडव के अज्ञातवास के समय भगवान श्रीकृष्ण द्वारा पांच शिवलिंग की स्थापना की गयी थी. इसमें से एक शिवलिंग देवाकाधाम में है. इसलिए इस स्थल का नाम श्रीकृष्ण की मां देवकी के नाम पर देवाकीधाम पड़ा. पांडवों के अज्ञातवास के समाप्ति के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने देवाकीधाम में ही शंख बजाये थे.
पंपापुर : पंपापुर को वर्तमान में पालकोट प्रखंड से जाना जाता है.यह गुमला से 25 किमी दूर है. एनएच रोड के किनारे है. यह दर्शनीय स्थल है. यहां सुग्रीव की गुफा साक्षात है. सुग्रीफ गुफा के अंदर निर्मल झरना है. गोबर सिल्ली पहाड़, काजू बगान, पहाड़ की चोटी पर तालाब, पहाड़ के बीच में मंदिर. निरक्षर झरना देखने लायक है. यहां का इतिहास नागवंशी राजाओं से जुड़ा हुआ है. यह पर्यटक स्थल के रूप में विश्व विख्यात है. यह ऋषि मुनियों की तपोभूमि है. इसके बावजूद पंपापुर पर्यटक स्थल का दर्जा को तरस रहा है.
बाघमुंडा : यह बसिया प्रखंड में है. गुमला से 50 किमी दूर है. यहां जो एक बार आता है. बारबार आने की इच्छा लेकर जाता है. यहां तीन दिशाओं से निकलने वाली नदी की धारा देखने में मजा आता है. लेकिन यह नजारा सिर्फ बरसात के दिनों में देखा जा सकता है. पहाड़ की ऊंचाई से नदी को देखने से दिल को सकून मिलता है. यह घने जंगल व पहाड़ों के बीच अवस्थित है. जिला प्रशासन के प्रयास से इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का कवायद शुरू किया गया था. इसके बाद यह ठंडे बस्ते में पड़ गया है.
टांगीनाथ धाम : यह डुमरी प्रखंड में है. गुमला से 75 किमी दूर है. यह धार्मिक स्थल है. यहां भगवान टांगीनाथ के त्रिशूल को देख सकते हैं. यहां कई प्राचीन स्रोत हैं, जो देखने लायक है और दिल को छूता है. यहां आठवीं व नौवीं सदी के कई रहस्य है. जिससे अब तक पर्दा नहीं हट सका है. टांगीनाथ विश्व में प्रसिद्ध है. परंतु सरकार व प्रशासन की उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण आज भी यह इलाका विकास की बाट जोह रहा है. हालांकि मंदिर में कुछ काम हुआ है. यहां अगर खुदाई की जाये तो कई ऐतिहासिक स्रोत मिलने की संभावना है.
आंजनधाम : यह गुमला प्रखंड से 20 किमी दूर है. यहीं भगवान हनुमान का जन्म हुआ था. अंजनी मां का निवास स्थान था. पहाड़ की चोटी पर भगवान हनुमान की मंदिर है. यह पूरे देश का पहला मंदिर होगा. जहां माता अंजनी की गोद में भगवान हनुमान बैठे हुए हैं. लेकिन यह उपेक्षित है. मंदिर के विकास के लिए कुछ काम हुआ है. परंतु इसे अबतक पर्यटक स्थल का दर्जा नहीं मिला है. अगर इस क्षेत्र का विकास हो और पर्यटकों के आने की सुविधा मिले तो इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
नवरत्नगढ़ : यह सिसई प्रखंड में है. गुमला से 32 किमी दूर है. यहां कई ऐतिहासिक धरोहर है. जिसे देख सकते हैं. प्राचीन किला आज भी विद्यमान है जो अब जमींदोज हो रहा है. उसे देख सकते हैं. नवरत्नगढ़ का निर्माण मुगल साम्राज्य के काल में हुआ था. राजा दुर्जन शाल ने नगर को अपनी राजधानी बनाया था. मुगल सम्राट से बचने के लिए खाई के बीच किला था. परंतु अब यह इतिहास के पन्नों पर गुम हो रहा है. जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यहां के प्राचीन धरोहर अब नष्ट हो रहे हैं।
गुमला में 40 पर्यटक व धार्मिक स्थल हैगुमला जिले में 40 पर्यटक स्थल व धार्मिक स्थल है. महत्वपूर्ण स्थलों में नवरत्नगढ़, पंपापुर पालकोट, टांगीनाथ धाम, आंजनधाम, बाघमुंडा, हीरादह व नागफेनी है. ये सभी पर्यटक व धार्मिक स्थल के रूप में राज्य व विश्व विख्यात है. प्रशासन के पास पर्यटक व धार्मिक स्थलों की जो सूची है. उनमें बसिया में बाघमुंडा, कामडारा में महादेव कोना शिवमंदिर, आमटोली शिवमंदिर, बानपुर शिवमंदिर, गुमला में आंजनधाम, बिरसा मुंडा एग्रो पार्क, रॉक गार्डेन, कली मंदिर, जगरनाथ मंदिर करौंदी, पहाड़ पनारी, प्रस्तावित तेलगांव डैम, पालकोट प्रखंड में पंपापुर, शीतलपुर गुफा, मलमलपुर गुफा, दशभुजी, चिंतामणी मंदिर, घोड़लता, गोबरसिल्ली, महावीर माड़ा, निर्झर झरना, राकस टंगरा, देवगांव शिव गुफा, पालकोट पहाड़ शिखर, सुंदरी घाघ देवगांव, प्रस्तावित प्राचीन काली मंदिर, रायडीह प्रखंड में वासुदेव कोना, हीरादह, सिसई प्रखंड में नवरत्नगढ़, नागफेनी मंदिर अंबाघाघ, दाढ़ी टोंगरी, घाघरा प्रखंड में हापामुनी महामाया मंदिर, देवाकीधाम, अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड में रूद्रपुर शिवगुटरा सरना, डुमरी प्रखंड में टांगीनाथ धाम, सीरासीता, प्रस्तावित गलगोटरा रोचवे एडवेंचर टूरिज्म, चैनपुर प्रखंड में राजा डेरा, अपरशंख और बिशुनपुर प्रखंड में पांच पांडव पहाड़ व रंगनाथ मंदिर है. गुमला के इन पर्यटक स्थलों को राष्ट्रीय महत्व, राजकीय महत्व, स्थानीय महत्व में रखा गया है. इन सभी स्थानों के विकास के लिए जिला स्तरीय पर्यटन संवर्धन समिति बनायी गयी है. जिसमें गुमला डीसी, डीडीसी, जिला योजना पदाधिकारी सहित कई लोग हैं.
Posted By : Samir Ranjan.