जानिए गुमला के स्व ललित उरांव की कहानी, दो बार सांसद और तीन बार विधायक बन लोगों के दिलों पर किया राज
किसान के बाद शिक्षक बनें. फिर राजनीति में आये और दो बार सांसद व तीन बार विधायक बनें. दो बार मंत्री भी रहे. सांसद व विधायक रहते वे पैसा नहीं कमा पाये. लेकिन लोगों के दिलों में राज करते आये हैं. ऐसे शख्सियत थे स्व ललित उरांव. आज उनकी पुण्यतिथि है. पढ़ें विशेष रपट...
दुर्जय पासवान, गुमला
Gumla News: किसान के बाद शिक्षक बनें. फिर राजनीति में आये और दो बार सांसद व तीन बार विधायक बनें. दो बार मंत्री भी रहे. सांसद व विधायक रहते वे पैसा नहीं कमा पाये. लेकिन लोगों के दिलों में राज करते आये हैं. ऐसे शख्सियत थे स्व ललित उरांव. आज उनकी पुण्यतिथि है. 1974 के आपातकाल में जयप्रकाश आंदोलन में भाग लिये थे. उस समय उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा था. शिक्षक से लेकर राजनीति तक के सफर में स्वर्गीय ललित उरांव ने कई महत्वपूर्ण काम किये हैं. जिसे आज भी गुमला जिले की जनता याद करती है. पढ़ें विशेष रपट…
ऐसी रही है राजनीतिक पृष्ठभूमि
स्व ललित उरांव लोहरदगा संसदीय सीट से 1991 व 1996 में दो बार भाजपा की टिकट से चुनाव जीतकर ललित उरांव सांसद बने थे. वहीं तीन बार सिसई विधानसभा से 1969, 1977 व 1980 में चुनाव जीतकर विधायक बने थे. 1969 में बिहार सरकार में आदिवासी कल्याण मंत्री व 1977 में वन मंत्री रह चुके हैं. उनका निधन 27 अक्तूबर 2003 को उनका निधन हुआ. लेकिन आज भी उनकी ईमानदारी व काम करने के तरीके को लोग याद करते हैं. सांसद व विधायक रहते हुए भी वे खेतीबारी से जुड़े रहे. सांसद व विधायक रहते वे पैसा नहीं कमा पाये. लेकिन लोगों के दिलों में राज करते आये हैं. अभी भी लोग उन्हें पूरे सम्मान से याद करते हैं. उनके नाम से ही गुमला शहर में ललित उरांव बस पड़ाव बना है.
बाबा के नाम से थे प्रचलित
ललित उरांव अपने जमाने में बाबा के नाम से प्रचलित थे. गुमला जिला के सिसई प्रखंड स्थित पोटरो गांव निवासी ललित उरांव लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र से लगातार दो बार सांसद बने थे. इनका राजनीति जीवन में लगनशील, शालिनता, ईमानदारी, सादगी व उच्च विचार था. स्वर्गीय ललित उरांव के एक पुत्र व तीन पुत्री है. आज भी स्व ललित उरांव का परिवार खेतीबारी कर जीवन यापन कर रहे हैं. 1981 ईस्वी में ललित उरांव द्वारा पोटरो गांव में बनाये गये घर में ही उसका बेटा मंगलाचरण उरांव अपने परिवार के साथ रहता है.
कार्तिक उरांव के साथ राजनीति में किया था प्रवेश
उनके छोटे पोते अभिषेक चंद्र उरांव ने बताया कि उसके दादा स्व ललित उरांव मीडिल स्कूल तक की पढ़ाई सिसई मध्य विद्यालय से की थी. मीडिल स्कूल के बाद हाई स्कूल गुमला से मैट्रिक पास की. रांची से इंटर पास के बाद पढ़ाई छोड़ घर में खेतीबारी में लग गये. सामाजिक कार्य में रुची लेने लगे. इसी बीच शिक्षक बने और रामवि बिशुनपुर में एचएम बने. ललित उरांव 1962 ईस्वी में कांग्रेस के कार्तिक उरांव के साथ राजनीति में आये. 1962 में ही कांग्रेस पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़े, पर जीत नहीं मिली. इसके बाद 1965 में जनसंघ पार्टी में शामिल हो गये. 1969 में जनसंघ पार्टी से पहली बार विधायक बने और बिहार में आदिवासी कल्याण मंत्री बने. 1974 के आपातकाल में जयप्रकाश आंदोलन में भाग लेकर तिहाड़ जेल गये. 1977 में विधायक बनकर वन मंत्री बने. तीसरी बार 1980 सिसई विधानसभा क्षेत्री से विधायक बने. विधायक व सांसद रहते हुए खेतीबारी पर विशेष ध्यान देते थे.