गोवा में फंसे गुमला के मजदूरों को मिला खाना और होटल में रहने का अधिकार
गोवा में फंसे गुमला के दो मजदूरों को रोटी व रहने का अधिकार मिल गया है. होटल ताज ने दोनों मजदूरों को निकाल दिया था. जिससे मजदूर भूखे थे. जब इसकी जानकारी मिशन बदलाव गुमला के सदस्यों को हुई तो दोनों मजदूरों को रोटी व अधिकार दिलाने के लिए कुछ देर के लिए आंदोलन शुरू हुआ.
दुर्जय पासवान
गोवा में फंसे गुमला के दो मजदूरों को रोटी व रहने का अधिकार मिल गया है. होटल ताज ने दोनों मजदूरों को निकाल दिया था. जिससे मजदूर भूखे थे. जब इसकी जानकारी मिशन बदलाव गुमला के सदस्यों को हुई तो दोनों मजदूरों को रोटी व अधिकार दिलाने के लिए कुछ देर के लिए आंदोलन शुरू हुआ. गोवा में मिशन बदलाव के सदस्य सह समाजसेवी सरताज सिंह व उनकी पत्नी लौरिन जो नार्थ गोवा में गोवा सिख यूथ एसोसिएशन नामक स्वयंसेवी संस्था चलाते हैं.
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इन दोनों ने मजदूरों को रोटी व होटल में रहने के अधिकार के लिए आंदोलन किया. कुछ घंटे चले आंदोलन का परिणाम है. होटल ताज प्रबंधन को झुकना पड़ा. उन दोनों मजदूरों को होटल में ही रहने की अनुमति मिलने के अलावा तीन वक्त का खाना भी मिलने लगा.
जानकारी के अनुसार गुमला के मजदूर सुकरा उरांव और महादेव उरांव दो माह पहले गोवा गये हुए थे. जहां वे होटल में काम कर रहे थे. परंतु कोरोना वायरस के बाद लगे लॉकडाउन से होटल बंद हो गया. होटल द्वारा दोनों मजदूरों को कुछ दिन रखा गया और एक ही वक्त को भोजन दिया जाता था. जब इसकी शिकायत मजदूरों ने की तो होटल प्रबंधक ने दोनों मजदूरों को होटल से निकाल दिया.
इस संकट में मजदूर कहां जाये. यह समस्या उत्पन्न हो गयी थी. अंत में गोवा में मिशन बदलाव के लिए काम कर रहे दंपती सरताज व लौरिन ने स्थानीय प्रशासन से मदद लेकर मजदूरों को होटल में ही रहने के लिए कार्रवाई की मांग की. वहीं झारखंड के मजदूरों के साथ गोवा में शोषण होने की खबर भी गोवा में वायरल हुई. जिसका परिणाम है कि होटल ताज को गुमला के मजदूरों के समक्ष झुकना पड़ा. मिशन बदलाव के संयोजक भूषण भगत व जीतेश मिंज ने कहा कि हमलोग गरीबों के लिए काम कर रहे हैं. इसलिए हमने जो लड़ाई लड़ी. उसमें जीत मिली.