Jharkhand News, Gumla News गुमला : कोरोना महामारी का संकट हैं. इस संकट में कुछ अच्छी आमदनी कर ले रहे हैं, तो कुछ एक वक्त की रोटी की जुगाड़ करने के लिए सुबह से दोपहर दो बजे तक शहर की सड़कों पर भटक रहे हैं. इनमें गुमला के रिक्शा चालक भी हैं. कोरोना ने इनके समक्ष विकट परिस्थिति पैदा कर दी है. गुमला प्रतिनिधि जॉली विश्वकर्मा ने गुमला के कुछ रिक्शा चालकों से बात की. रोज की कमाई व घर की जीविका की जानकारी ली.
गुमला के रिक्शा चालक रामू नायक ने बताया कि उसके दो लड़के और एक लड़की है. मिनी लॉकडाउन से पहले वह 500 रुपये प्रतिदिन कमाता था. लेकिन स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह जारी होने के बाद से उसे 100 रुपये भी कमाना मुश्किल हो गया है. बड़ी मुश्किल से घर का चूल्हा चौका जल रहा है. सोहन चीक बड़ाइक ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह में खाद्य पदार्थों के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि हो गयी. हमारे पास जमीन जगह नहीं है.
सभी चीज खरीद कर खाना है. परिवार का भरण पोषण करना है. लेकिन मिनी लॉकडाउन से कमाई बंद हो गयी है. कहां से कमाये. क्या खाये. परिवार की कैसे परवरिश करे. यही चिंता सता रही है. जबकि राशन बेचने वालों की कमाई तो दुगुना बढ़ गयी है और हम गरीबों की कमाई बंद हो गयी है. हम लोगों के काफी दयनीय स्थिति हो गयी है. बरसु साव ने कहा कि उसके दो लड़का तीन लड़की है. जिसमें दो लड़की का विवाह हो गया.
एक लड़के का विवाह भी दिया है. एक लड़का एक लड़की अभी बची हुई है, उन्होंने जीवन में पहली बार इस तरह की महामारी देखी है, जो उनकी कमाई पर भी असर डाल रही है. वर्तमान समय में उन्हें 100 रुपये कमाना मुश्किल हो रहा है. काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गंदुरा साहू ने कहा कि एक बेटा व दो बेटी है. मिनी लॉकडाउन से पहले कच्छी कमाई होती थी.
अब बड़ी मुश्किल से चूल्हा चौका जला रहे हैं. घर चलाने में काफी दिक्कत हो रही है. हम सभी रिक्शा चालक भुखमरी की कगार पर हैं. सरकार हमारी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. ना ही जिला प्रशासन का ध्यान है. ऐसे में हम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
Posted By : Sameer Oraon